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जीत नहीं पाये नीतीश के एक भी मुस्लिम विधायक, क्या नहीं बनेंगे अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री ?

जनबोल न्यूज बिहार विधान सभा चुनाव 2020 के परिणामों के बाद सरकार गठन की तस्वीर साफ हो रही है। नीतीश कुमार 16 नवंबर 2020 को

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बिहार विधान सभा चुनाव 2020 के परिणामों के बाद सरकार गठन की तस्वीर साफ हो रही है। नीतीश कुमार 16 नवंबर 2020 को सातवीं वार मुख्यमंत्री पद की सपथ लेंगे। जब सपथ ले रहे होंगे तो एक चुनौती भी साथ होगी। नीतीश सरकार में ऐसा पहली बार हुआ है जब एक भी अल्पसंख्यक समुदाय के लोग नहीं जीते हैं। अल्पसंख्यक विधायकों के न जीतना अपने आप में  एक चुनौती सरकार के सामने ले कर आरही है कि आखिर अल्पसंख्यक मंत्रालय का क्या होगा ? विधायक नहीं हैं ऐसे में अल्पसंख्यक मंत्री कौन होंगे।

अल्पसंख्यक विधायकों की कमी ऐसे होग पूरा।

2015 के बिहार विधान सभा चुनाव में 5 अल्पसंख्यक विधायकों के साथ जदयू जीत कर आयी थी लेकिन इसबार अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री खुर्शीद भी सिकटा सीट से चुनाव हार चुके हैं यहीं नहीं पूर्व अल्पसंख्यक मंत्री नौशाद अहमद भी ठाकुरगंज से चुनाव हार चुके हैं। इन दोनों के अलावा अन्य 9 उम्मीदवार भी चुनाव हार चुके हैं। इनसे यह तो तय हो चुका है जदयू के किसी जीते विधायक के खआते में यह सीट नहीं जा रही है।

एमएलसी पर खएला जा सकता है दांव

बिहार विधआन सभा दो सदनों वाली है। मंत्रालय संभालने के लिए जरूरी नहीं है कि आप विधआयक हीं रहें। विधान मंडल का नेता होना जरूरी है। ऐसे में सरकार के सामने आरही इस चुनौती को  विधान परिषद के सदस्यों के जरिये पूरी की जा सकती। जदयू के पास मौजूद एमएलसी में से जिन नामों पर चर्चा चल रही है उसमें गुलाम गौस और खालिद अनवर का नाम सामने आरहा है। हालांकि अंतिम निर्णय सामने आनी अभी बाकि है। मुखअयमंत्री के सपथ ग्रहण के बाद हीं संभव है इस पर बहसों और नये नेता को अल्पसंख्यक मंत्री बनाये जाने की कयासों पर लगाम लगेगा।

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