जनबोल न्यूज

 माननीय मंत्री, कृषि विभाग, बिहार डॉ० प्रेम कुमार की अध्यक्षता में आज मुख्य उद्यानिक फसलों से संबंधित प्रगतिशील कृषकों एवं 22 संबंधित जिलों (औरंगाबाद, सुपौल, गोपालगंज, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, पूर्वी चम्पारण, भागलपुर, पटना, सहरसा, किशनगंज, बाँका, वैशाली, खगड़िया, पूर्णियाँ, कटिहार, दरभंगा, नवादा, नालन्दा, गया, पश्चिम चम्पारण, बेगूसराय एवं मधुबनी) के सहायक निदेशक उद्यान के साथ Zoom Meeting के माध्यम से समीक्षा किया गया। इस बैठक में स्ट्रॉबेरी, लीची, आम, अनानास, शहद, केला, मखाना, पान एवं जैविक सब्जी तथा सूक्ष्म सिंचाई पद्धति से जुड़े प्रगतिशील कृषकों ने अपने सुझावों से माननीय मंत्री जी को अवगत कराया, जिसमें बांका के कृषकों द्वारा शहद उत्पादन में वृद्धि इसके फलस्वरूप उनके आर्थिक स्थिति में सुधार का उल्लेख किया गया। पश्चिम चम्पारण जिलें में सूक्ष्म सिंचाई के माध्यम से उत्पादन में 30 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

माननीय मंत्री जी द्वारा Bihar Agri Investment Promotion Policy, 2020 (BA-IPP 2020) के तहत कृषको को Agri Processing Unit पर 25 प्रतिशत तक के अनुदान की जानकारी दी गई। सामूहिक खेती पर माननीय मंत्री जी ने जोर देते हुए कहा कि उद्यानिक उत्पादन विकास योजना सरकार की महत्वकांक्षी योजना है, जिसका लाभ किसानो को भरपूर मिलेगा। माननीय मंत्री जी ने कृषकों को पारम्परिक खेती के अलावा उद्यानिक खेती, पशुपालन, मछली पालन एवं जैविक खेती के लिए अग्रसर रहने का सुझाव दिया।

माननीय मंत्री जी के द्वारा कृषकों से प्राप्त सफलता की जानकारी को जिलों से मँगाकर सफलता की कहानी के रूप में प्रकाशित करने का निदेश दिया गया, ताकि इस पुस्तक के माध्यम से राज्य के अन्य किसान भी इस जानकारी से प्रेरित हो सके तथा उद्यान निदेशालय, कृषि विभाग द्वारा संचालित योजनाओं का अधिकतम लाभ उठा सके। माननीय मंत्री द्वारा निदेश दिया गया कि योजना की जानकारी किसानो तक पहुँचाने हेतु आव यक कदम उठाया जाए। बैठक में निदेशक उद्यान मुख्यालय के सभी उप निदेशक उद्यान तथा सहायक निदेशक उद्यान भी सम्मिलित थे।

उन्होंने किसानों को संबोधित करते हुए कहा बंधुओं जैसा कि आप जानते हैं बिहार एक कृषि प्रधान राज्य हैं राज्य की लगभग 76 प्रतिशत आबादी कृषि पर ही आधारित है। आज की खेती की परिस्थितियाँ पहले की तुलना में पूरी तरह से बदल गई है, जनसंख्या का दबाव है, उनके लिए खाने की व्यवस्था करनी है, इसलिए आज एक ही खेत में कई बार फसल उगाए जाते हैं, क्रॉपिंग इंटेंसिटी काफी बढ़ गई है। किसानों के ऊपर बाजार का भी दबाव है ऊपर से जलवायु परिवर्तन से जुड़ी समस्याएं भी है। कभी बारिश ज्यादा हो जाती है, कहीं नहीं होती है ऐसी स्थिति में कृषि के समक्ष जोखिम काफी अधिक हो जाता है। बारिश हुई तो खेती होगी नही हुई तो परेशानी। ज्यादा बारिश हुई तो फसल डूब जाते हैं। ऊपर से हमारे बिहार का जो खेती का जोत है वह भी काफी छोटा है।

उन्होंने कहा कि राज्य में 90 प्रतिशत से अधिक किसान लघु एवं सीमांत श्रेणी के हैं जिनके जोत का आकार 1 हेक्टेयर से भी कम है। ऐसे में हमें फसल उत्पादन के साथ-साथ अन्य विकल्पों पर भी विचार करना होगा यानी हमें समेकित कृषि प्रणाली को अपनाना होगा। जिसमें फसल उत्पादन के साथ बागवानी, सब्जी की खेती फलों की खेती, मशरूम, कृषि वानिकी, पशुपालन, मुर्गी पालन, शहद उत्पादन इन सब को अपनाना होगा ताकि यदि परिस्थिति अनुकूल नहीं रहे, मौसम अनुकूल नहीं रहा उस परिस्थिति में भी हमारे पास जीविका का कोई न कोई साधन उपलब्ध हो। इसलिए हमारी सरकार ने कृषि रोड मैप बनाए है और कृषि रोड में बना कर राज्य में फसल उत्पादन के साथ-साथ आमदनी के अन्य स्रोतों के विकास पर भी जोर दे रहे हैं जिसमें उद्यानिकी फसलों की खेती पर विशेष प्रावधान, विशेष व्यवस्थाएं की गई है। जैसे हम लोगों ने विशेष फसल योजना चलाई है।

डॉ० प्रेम ने कहा कि प्रकृति ने बिहार को वरदान दिया है इस मामले में की हमारे राज्य में कुछ उत्पाद है जैसे शाही लीची, जर्दालु आम, मखाना, कतारनी चावल है ये सिर्फ बिहार में ही होते हैं। इसलिए हमारी सरकार इनकी खेती को बढ़ावा देना चाहती हैं ताकि आपके पास आमदनी का विकल्प मौजूद रहे। इन सबके बाद बाजार की भी समस्या है हम देखते हैं कि कभी हमारे फसल उत्पादों का मूल्य बाजार में काफी अधिक हो जाता है तो काफी कभी बहुत ही ज्यादा कम हो जाता है किन परिस्थितियों में किसानों को कैसे बेहतर मूल्य मिले इसके लिए भी हमारी सरकार चिंतित है पहले तो हम बाजार की अच्छी व्यवस्था के लिए राज्य के सभी कृषि उत्पादन बाजार समिति को सुदृढ़ कर कर रहे हैं वहां सुरक्षा सफाई सड़क बिजली पानी शौचालय की व्यवस्था के साथ-साथ उसे हम नेशनल एवं इंटरनेशनल मंडियों से जोड़ने की व्यवस्था कर रहे हैं ताकि आपको फसल कानों का बेहतर मूल्य मिल सके आप यह जान सके कि आपके उत्पाद का अन्य राज्यों में क्या कीमत चल रही है उस हिसाब से आप बाजार में भेज सकते हैं और इस दिशा में आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने ऐसी व्यवस्था कर दी है कि किसान अब पूरे देश में विदेश में जहाँ चाहे अपने फसल उत्पादक ओ पी सकते हैं इसके साथ साथ हम लोगों ने उद्यानिकी फसलों के लिए विशेष उद्यान एक उत्पाद विकास योजना चलाई है इसमें आप अपने उत्पादों को अगर आपको उस समय उचित मूल्य नहीं मिल रहा है तो आप उसका प्रोसेसिंग ग्रेडिंग पैकेजिंग कर सकते हैं ताकि उसका वैल्य एडिशन हो सके और उसको उसको अधिक से अधिक मूल्य आपको मिल सके इसी तरह से कम पानी में अधिक सिंचाई के लिए किए जा रहे हैं इसमें इसमें ड्रिप सिंचाई के ड्रिप सिंचाई के लिए 90प्रतिशत और स्प्रिंकलर के लिए 75 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है। इतना अनुदान अन्य किसी राज्य में नहीं है और इसमें आपको पानी की बचत तो होगी समय की भी बचत होगी और फसल भी अधिक पानी कारण जो खराब होते हैं उनसे बचाव होगा।

डॉ० कुमार ने कहा कि हमारी सरकार राज्य में कृषि आधारित उद्योगों को बढ़ावा देने जा रही है इसके लिए हम अब नई औद्योगिक नीति लेकर आए हैं नई इन्वेस्टमेंट पॉलिसी बनी है जिसमें कृषि के क्षेत्र में उद्योग लगाने वालों को काफी सहूलियत देने का प्रावधान किया गया है। समूह में अगर कोई कृषि उद्योग लगाता है तो उसे कई तरह की सुविधाएं मिलेगी इसके साथ ही जो कैपिटल इन्वेस्टमेंट होगा जो पूंजी निवेश होगा उस पर 25 प्रतिशत अनुदान मिलेगा। यह बहुत बड़ी बात है। मेरा आपसे अनुरोध होगा कि आप लोग अच्छे किसान हैं। प्रगतिशील किसान हैं। काफी बेहतर कर रहे हैं तो मेरा अनुरोध होगा कि इस नई औद्योगिक नीति नई निवेश नीति से अधिक-से-अधिक लाभ उठाएं और इसके साथ ही मैं आपसे कहना चाहूँगा कि आज सामूहिक खेती का दौरा आ गया हैं समूह में अगर आप समूह में खेती करेंगे तो आपको अपने उत्पादों को बेचने के लिए बाजार की ओर नहीं जाना पड़ेगा बल्कि बाजार खुद आपके पास आएगा इसके लिए सरकार एफ0 पी0 ओ0 बना रही है। फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन। इसके लिए केंद्र की सरकार द्वारा काफी सहायता दी जा रही है।

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