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बिहार कृषि विश्वविद्यालय कृषि शिक्षा, शोध, प्रसार एवं प्रशिक्षण सहित खेती के सर्वांगीण विकास के लिए कृतसंकल्पित

जनबोल न्यूज  माननीय मंत्री, कृषि विभाग, बिहार डॉ० प्रेम कुमार द्वारा आज बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर, भागलपुर के 11वें स्थापना दिवस कार्यक्रम का उद्घाटन वीडियो

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shaziya shamim

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 माननीय मंत्री, कृषि विभाग, बिहार डॉ० प्रेम कुमार द्वारा आज बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर, भागलपुर के 11वें स्थापना दिवस कार्यक्रम का उद्घाटन वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से किया गया। इस अवसर पर बिहार कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अजय कुमार सिंह, इन्टरनेशनल सेन्टर ऑफ कीट फिजियोलॉजी एण्ड इकोलॉजी, केन्या के प्रधान वैज्ञानिक डॉ० जेड० आर० खान इन्टरनेशनल राईस रिसर्च इन्सटीच्यूट मनीला फीलिपिन्स के मुख्य वैज्ञानिक डॉ० नेन्सी पी कस्टीला, मलाया विश्वविद्यालय, कआलालम्पुर के प्रधान वैज्ञानिक डॉ० चंद्रन शोभा सुन्दर, ब्यूनर्स आयर्स विश्वविद्यालय, अर्जेंटीना के वैज्ञानिक डॉ० फ्रांसीसको सतुआ, फैसलाबाद कृषि विश्वविद्यालय, पाकिस्तान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ० अब्दुल रहमान साहब, नेशनल ब्यूरो ऑफ इन्सेक्ट रिसैसेज बैंगलोर के डॉ० सी० बलाल, डॉ० पी० मंजुनाथ, डॉ दीपा भगत एवं बिहार कृषि विश्वविद्यालय के निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ० आर० के० सोहाने अन्य सभी निदेशक एवं अधिष्ठातागण, बिहार विश्वविद्यालय के पदाधिकारीगण, वैज्ञानिक सहित अन्य अतिथिगण उपस्थित थे।

माननीय मंत्री ने अपने सम्बोधन में बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के 11वें स्थापना दिवस के अवसर पर सभी को शुभकामनाएँ एवं बधाई दिया। बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर ने इस राज्य सहित पूरे देश में कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों के विकास में अपना योगदान दिया है, जो प्रशंसनीय है। वर्ष 2010 में माननीय मुख्यमंत्री, बिहार श्री नीतीश कुमार जी के द्वारा इस विश्वविद्यालय की स्थापना की गयी थी, तब से यह विश्वविद्यालय कृषि शिक्षा, शोध, प्रसार एवं प्रशिक्षण सहित खेती के सर्वांगीण विकास के लिए कृतसंकल्पित है।

उन्होंने कहा मुझे खुशी है कि कृषि क्षेत्र में विश्वविद्यालय के योगदान को देश-दुनिया में मान्यता मिल रही है और इसे अनेक पुरस्कार एवं सम्मान प्राप्त हो रहा है। अभी हाल में देश के प्रतिष्ठित स्कॉच संस्थान ने सूचना तकनीक के माध्यम से किसानों के कौशल उन्नयन को बढ़ावा देने के लिए बिहार कृषि विश्वविद्यालय को गोल्ड मेडल प्रदान किया है। कुलपति डॉ० अजय कुमार सिंह को विशेष तौर पर बधाई दिया, जिन्हें कृषि क्षेत्र में उनके विशिष्ठ योगदान के लिये लाईफ टाईम एचीवमेंन्ट सम्मान विगत माह में प्रदान किया गया है।

माननीय मंत्री ने कहा कि संयुक्त राष्ट्रसंघ द्वारा वर्ष 2020 को अन्तर्राष्ट्रीय पौधा स्वास्थ्य वर्ष घोषित किया गया है। आज के समय में जब पूरी दुनिया विशेष प्रकार की मानव त्रासदी से गुजर रही है और बड़ी संख्या में लोग उससे प्रभावित हो रहे हैं। ऐसे समय में मानव सुरक्षा के प्रति हम सब की जवाबदेही और बढ़ जाती है। सरकार ने कोविड-19 वैश्विक महामारी से प्रदेश की जनता को बचाने के लिये इस रोग से आक्रान्त नागरिकों के समुचित ईलाज का प्रबन्ध किया है और उन्हें इस महामारी से बचाव हेतु जागरूक करने के लिये ठोस कार्यक्रम बनाकर उसे कार्यावित किया जा रहा है। उत्तर बिहार के 14 जिलों के 113 प्रखंडों के 1084 पंचायत बाढ़ से प्रभावित हो गये है। वहाँ भी सरकार बाढ़ प्रभावितों को पूरी मदद कर रही है। मनुष्यों के साथ-साथ बेजुबान पशु-पक्षियों के लिए भी आश्रय स्थल एवं खाने की व्यवस्था की है। राज्य में कृषि, पशुपालन तथा मत्स्यपालन से जुड़ी गतिविधियों को लॉकडाउन से मुक्त रखा गया है तथा कृषि विभाग के कर्मचारी एवं पदाधिकारी तथा विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकगण इस कोरोना संकट काल में किसानों को संक्रमण से बचते हुए कृषि एवं अन्य गतिविधियों को जारी रखने के लिए प्रशिक्षित एवं प्रेरित कर रहे हैं, जिसका काफी सकारत्मक परिणाम मिल रहा है। उन्होंने कहा मुझे यह बताते हुए काफी खुशी हो रही है कि राज्य के अन्नदाता किसानों के अथक परिश्रम एवं लगन से राज्य को भारत सरकार द्वारा कृषि के सर्वश्रेष्ठ सम्मान “कृषि कर्मण अवार्ड” से पाँचवीं बार सम्मानित किया गया है।

डॉ० प्रेम ने कहा कि देश के सर्वाधिक लोकप्रिय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र भाई मोदी जी के वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के संकल्प को पूरा करने के लिए हम सभी प्रयासरत हैं तथा किसानों के हित में विभिन्न प्रकार की योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है।

माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा देश के किसानों के लिए प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की शुरूआत की गई है, जिसमें सहायता राशि सीधे किसानों के बैंक खाते में भेजा जा रहा है। इस योजना अंतर्गत सभी किसानों को तीन किस्तों में 6,000 रू. की राशि देने का प्रावधान है। अभी तक राज्य के 73 लाख से अधिक किसानों के खाते में 4 हजार 862 करोड़ रूपये भेजे जा चुके हैं, प्रत्येक किसान के खेत के मिट्टी की जाँच कर किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड उपलब्ध कराना सरकार की प्राथमिकता है, ताकि अन्नदाता किसान भाई-बहन अपने खेतों के मिट्टी में मौजूद पोषक तत्वों के अनुसार ही संतुलित उर्वरकों का उपयोग कर सकें।

उन्होंने आगे कहा कि कृषि विभाग द्वारा किसानों को प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के माध्यम से महत्त्वपूर्ण योजनाओं यथा प्रधानमंत्री कृषि सम्मान निधि योजना, सूखाग्रस्त प्रखण्डों के लिए इनपुट अनुदान कार्यक्रम, डीजल अनुदान, कृषि यांत्रिकरण योजना, प्रधानमंत्री सूक्ष्म सिंचाई योजना आदि का लाभ दिया जा रहा है। राज्य में कई महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम जैसे खेतों से फसल अवशेषों को न जलाना, जैविक कोरिडोर का विस्तार, जलवायु परिवर्तन के परिप्रेक्ष्य में क्लाईमेट स्मार्ट विलेज का निर्माण, पंचायत स्तर पर कृषि कार्यालय की स्थापना आदि कार्यान्वित किये जा रहे हैं। देश में पहली बार बिहार में किसानो को बीज की ऑनलाईन व्यवस्था के साथ-साथ होम डिलीवरी की भी व्यवस्था की गई है। जिसकी सराहना भारत सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा की गई है तथा केन्द्रीय कृषि मंत्रालय द्वारा देश के सभी राज्यों को इस बिहार मॉडल को अपनाने के लिए निदेशित किया गया है।

माननीय कृषि मंत्री ने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार कृषि है और किसानों की आय का मुख्य साधन खेती है। जैविक खेती से उत्पन्न फसल न केवल स्वास्थ्य के लिए वरन पर्यावरण के लिए अनुकूल होता है। रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशियों के दुष्परिणाम को देखते हुए बिहार सरकार द्वारा जैविक प्रोत्साहन के अनेक कार्यक्रम क्रियान्वित किये जा रहे हैं, जिसमें बक्सर से भागलपुर तक के गंगा किनारे पड़ने वाले गाँवों एवं दनियावाँ से बिहारशरीफ तक के राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे जैविक कोरिडोर का निर्माण पर विशेष बल दिया जा रहा है। इस योजना अंतर्गत किसानों/उत्पादकों का समूह बनाकर राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्रम के अनुसार जैविक खेती के लिए निर्धारित पैकेज पर अनुदान देकर अंगीकरण कराकर प्रमाणीकरण कराया जा रहा है। साथ ही, प्रत्येक जिला में एक जैविक ग्राम का चयन कर उस गाँव के सभी किसानों को वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन हेतु प्रेरित किया जा रहा है। माननीय मुख्यमंत्री जी का सपना “प्रत्येक भारतीय के थाल में बिहार का एक व्यंजन हो’ को पूरा करने के लिए हम सभी दृढ़संकल्पित हैं। जैविक खेती के साथ-साथ आज हमें अपनी परम्परागत खेती, जिसमें ज्वार, बाजरा, रागी, मडूआ, कोदो का एक अपना महत्व था और हमारे भोजन में इनका स्थान था, को पुन: बढ़ावा देने के लिए कृषि विश्वविद्यालयों एवं सरकार द्वारा प्रयास किया जा रहा है, ताकि न केवल किसानों बल्कि समस्त मानव जीवन स्वस्थ हो। बिहार में कलाईमेट स्मार्ट एग्रीकल्चर का कार्यान्वयन किया जा रहा है। इसके क्लाईमेट स्मार्ट भिलेज बनाया गया है।

डॉ० कुमार ने कहा मुझे खुशी है कि बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर, भागलपुर द्वारा अपनी स्थापना के 10 वर्षों के अंदर राज्य के जलवायु के अनुसार विभिन्न फसलों के प्रभेद विकसित किये गये हैं। धान के लिए सबौर सुरभित, सबौर अर्द्धजल, सबौर दीप, सबौर श्री, गेहूँ के लिए सबौर श्रेष्ठ, सबौर निर्जल, सबौर समृद्धि, मक्का के लिए सबौर संकर मक्का-1 एवं 2, फूलगोभी के लिए सबौर अग्रिम तथा लीची के लिए सबौर लीची-1 मुख्य हैं। इस विश्वविद्यालय के अधीन कार्यरत कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा किसानों को कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों के नवीनतम तकनीक प्रत्यक्षणों के माध्यम से उपलब्ध कराया जा रहा है। बिहार में स्ट्रॉबेरी की खेती तथा ड्रैगन फ्रुट उपजाने के तरफ किसानों का रूझान करने में कृषि विज्ञान केन्द्र का महत्वपूर्ण योगदान है। बिहार कृषि विश्वविद्यालय के प्रसार शिक्षा निदेशालय द्वारा किसानों को नवीनतम तकनीक पहुँचाने के लिए विभिन्न फसलों के तकनीकी वृतचित्र एवं किसान ज्ञान रथ के माध्यम से प्रचार-प्रसार में सराहनीय कार्य किया जा रहा है।

उन्होंने कहा मुझे खुशी है कि बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर सहित उसके अंगीभूत संस्थानों द्वारा कोरोना महामारी से बचाव हेतु सार्थक प्रयास किया जा रहा है। इसी प्रकार पौधा स्वास्थ्य प्रबंधन एक ऐसा विषय है, जो हमारे जीवन, पोषण एवं आमदनी से सीधा जुड़ा है। इस विश्वविद्यालय की स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय बेब कान्फ्रेरेंस फसल सुरक्षा के माध्यम से खाद्य सुरक्षा और उसका संरक्षण बहुत समसाममिक कार्यक्रम है। इस अन्तर्राष्ट्रीय कार्यक्रम में भारत के अलावा 05 अन्य देशों के विशिष्ट वैज्ञानिकगण अपने अनुभवों एवं विचारों से सभी प्रतिभागियों को लाभान्वित करेंगे। यह अन्तर्राष्ट्रीय बेविनार राज्य के विकास में मील का पत्थर साबित होगा।

 

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