जनबोल न्यूज

बिहार विधान सभा चुनाव के परिणाम आने के साथ ही विधानसभा की नई तस्वीर सामने देखने को मिल रहा है। उसमें महिलाओं की संख्या इसबार कम हो गई है। वही आपराधिक मामलों के आरोपितों की संख्या बढ़ी है।

विधानसभा में करोड़पति चेहरे भी ज्यादा दिखेंगे। निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के शपथ पत्रों के विश्लेषण के बाद एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्‍स (एडीआर) और इलेक्शन वॉच ने विधानसभा की यह तस्वीर सामने रखी है।

123 निर्वाचितो  पर गंभीर आरोप है।  

विधानसभा की आधी से ज्यादा सीटों पर ऐसे माननीय बैठेंगे, जिन पर संगीन आरोप के मामले दर्ज हैं। हलाकि  2015 में देखे तो 40 प्रतिशत  था। इस बार 163 वैसे प्रतिनिधियों ने जीत दर्ज की है। जिन पर किसी न किसी मामले में प्राथमिकी दर्ज है।

इनमें 123 पर गंभीर आरोप हैं। इसबार विधानसभा के कुल माननीयों के सापेक्ष 51 फीसद होगी। ऐसे प्रतिनिधियों को विधानसभा की  रेड कार्पेट तक पहुंचाने में कही ना कही सभी राजनीतिक दलों की अहम भूमिका दिखाइ देता है।इन सबो को राजनीति दलो ने ही टिकट देने का काम किया है।

हलाकि एनडीए की बात करे तो इसबार बाहुबलियो टिकट नही दिया लेकिन आकडे तो कुछ और ही बता रहे है।

डुमराव के विधायक रहे ददन यादव का टिकट भी कटने का कारण बाहुबली छवी ही रहा । हलाकि ददन यादव ने निर्दलिय चुनाव लडे लेकिन चुनाव हार गए।

भाजपा के 73 में से 35 (48 फीसद), जदयू के 43 में से 11 (26 फीसद) विधायकों पर भी गंभीर मामले दर्ज हैं।

अन्य दलों के  प्रतिनिधियों पर गंभीर मामले

एआइएमआइएम, सीपीआइएम और बीएसपी से जीतने वाले शत-प्रतिशत प्रतिनिधियों ने अपने ऊपर गंभीर मामले दर्ज होने की जानकारी नामांकन के शपथ पत्र में दिया है। राजद के 74 में से 44 ,कांग्रेस के 19 में 11 (58 फीसद) और भाकपा माले के 12 में से आठ (67 फीसद) विधायकों पर भी गंभीर मामले दर्ज हैं।

जीते हुए जनप्रतिनिधियों में 19 वैसे हैं। जिन पर हत्या के आरोप लगे हुए हैं। 31 पर हत्या के प्रयास और आठ पर महिला उत्पीडऩ के आरोप हैं।

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