जनबोल न्यूज

राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश प्रवक्ता चितरंजन गगन ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा सरकारी सेवकों के 50 वर्ष पर सेवानिवृत्त करने का फैसला हिटलर शाही फरमान है। साथ ही कहा कि राजद की सरकार बनेगी तो नीतीश सरकार कीहिटलर शाही पत्र को निरस्त करेगी। राजद की सरकार में कोई भी कर्मचारी नहीं हटेगें वे अपनी सेवा पूर्ण देगें, सामान्य प्रशासन विभाग बिहार सरकार के ज्ञापांक-6832 दिनांक -23-07-2020 द्वारा निर्गत पत्र  सरकारी सेवकों जिनकी सेवानिवृत्त 60 वर्ष है। उनके 50 वर्ष उम्र होने पर
कार्य क्षमता या आचार- विचार की समीक्षा के आधार पर सेवानिवृत्त करने का प्रावधान कर दिया गया है।

जबकि बिहार सेवा संहिता के नियम 74(ख) (॥) में प्रावधान यह है कि कोई सरकारी सेवक इच्छा अनुसार प्रथम नियुक्ति के 21वर्ष और कुल सेवा के 25 वर्ष पूर्ण करने पर सेवानिवृत्त ले सकते हैं। स्पष्ट तौर पर जब सरकारी सेवक चाहे तब, परन्तु नये आदेश के मुताबिक उच्च स्तरीय कमेटी कर्मी का कार्य क्षमता या आचार, कार्य मुल्यांकन चारित्रिक को केंद्रित किया गया है। सरकार के इस फैसले से सेवा कर्मी में नाराजगी व विश्वास घटेगा। जिसका सीधा असर उसके कार्यो पर पड़ेगा। यहाँ तक समीक्षा के दौरान बड़े पैमाने पर कर्मीयों का आर्थिक, मानसिक व शारीरिक शोषण होगा। जो राज्य में विकट परिस्थिति लायेगा।

राज्य सरकार कर्मीयों की छँटनी नीति पर रोक लगाये, साथ ही अनुचित निर्णय को वापस ले। अन्यथा राष्ट्रीय जनता दल हर स्तर पर सरकार के इस जन बिरोधी आदेश के खिलाफ आवाज उठाने को बाध्य होगी। एक तरफ कोरोना जैसी महामारी में हरेक पदाधिकारी, अघिकारी, शिक्षक-कर्मचारी सरकार के आदेशों एवं निर्देशों को सजगता से कर रहे हैं। परन्तु राज्य सरकार इस समय ऐसीआदेश निकाल कर कर्मीयों के महामारी से लड़ने की क्षमता को घटा डाला है।

वित्त विभाग बिहार सरकार के ज्ञापांक -435 दिनांक-27-07-2020 द्वारा ब्वअपक-19 महामारी से उत्पन्न परिस्थिति में कर्तव्य के क्रम में संक्रमण के फलस्वरूप मृत सरकारी सेवकों के आश्रितों को विषेष परिवारिक पेंशन की सुविधा देने के आदेश जारी किये है। जबकि नियोजित शिक्षक भी सरकार के सभी कार्यो का निष्पादन कोरोना काल में कर रहा है। जिस दरम्यान कई शिक्षकों की मौत हो गई है, तथा दर्जनों भर संक्रमित है। इस हेतु नियोजित शिक्षकों को भी सेवा सुरक्षा के मदे् नजर इस विशेष परिवारिक पेंशन से आच्छादित किया जाना चाहिए। नियोजित शिक्षकों के मृत्यु उपरांत कोई पेंशन योजना भी आश्रितों को सहारा नहीं है। अन्यथा नियोजित शिक्षकों
को कोरोना काल में सभी दायित्वों से मुक्त रखा जाय।

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