शहाबुद्दीन को जेल से छुट्टी चाहिए। शहाबुद्दीन ने इसके लिए अर्जी भी लगाया है. मामलुम हो कि सिवान में दो भाईयों को तेजाब से नहलाये जाने के मामले में दिल्ली की तिहाड़ जेल में फिलहाल वो उम्र कैद की सजा काट रहे हैं। शहाबुद्दीन ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सिवान जाने के लिए ‘कस्टडी पैरोल’ की मांगी की है। शहाबुद्दीन ने अपनी याचिका में कहा है कि उनके पिता का बीते 19 सितंबर को निधन हो गया और उनकी मां बीमार हैं इस वजह से उन्हें कस्टोडियल पैरोल दी जाये।
बिहार और दिल्ली सरकार ने उलझाया मामला
‘कस्टडी पैरोल’ की मांग कर रहे शहाबुद्दीन के केस को दिल्ली और बिहार सरकार ने मिल कर उलझा दिया है। जस्टिस एजे भंभनी के कोर्ट में सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार के वकील संजय लावा ने जहां बिहार में सुरक्षा के जिम्मे का पाल बिहार पुलिस पर फेंका तो वहीं यह भी कहा कि कोरोना काल में सिवान ले जाना भी मुश्किल है। फिलहाल ट्रेनों का परिचालन समान्य नहीं है। शहाबुद्दीन के साथ जाने पुलिस की एक पूरी बटालियन भी भेजनी होगी। वहीं बिहार सरकार के वकील केशव मोहन ने भी कहा कि शहाबुद्दीन तिहाड़ जेल में हैं इसलिए उनकी सुरक्षा दिल्ली सरकार व पुलिस को सुनिश्चित करनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि कस्टडी पैरोल की स्थिति में जरूरी ब्योरा नए हलफनामे में दिया जाएगा।
कोर्ट ने निकाला बीच का रास्ता , कहा परिवार हीं दिल्ली चली आये
बिहार सरकार और दिल्ली सरकार द्वारा सुरक्षा देने से पल्ला झाड़ते देख कोर्ट ने बीच का रास्ता निकाला । कोर्ट ने कहा कि परिवार में शोक जैसी स्थिति हो तो कस्टडी पैरोल देने पर विचार किया जा सकता है । चुकि इस मामले में बिहार और दिल्ली सरकार यह सुनिश्चित नहीं कर रही हैं कि शहाबुद्दीन उनकी हिरासत में सुरक्षित रहेगा। ऐसे में क्यों नहीं शहाबुद्दीन का परिवार ही दिल्ली आकर उनसे मिल ले। इसके लिए दिल्ली में अलग जगह दी जाएगी। इसपर शहाबुद्दीन के वकील सलमान खुर्शीद ने कहा कि वे कोर्ट के सुझाए विकल्प पर विचार करेंगे, लेकिन इसके पहले बिहार सरकार हलफनामा देकर कहे कि वह शहाबुद्दीन की सुरक्षा नहीं कर सकती है।