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बिहार में हर स्तर पर भ्रष्टाचार चर्मोत्कर्ष पर है। गोपालगंज में सत्तर घाट पुल का ढह जाना 29वें दिन हीं इसका ताजा उदाहरण जरूर है लेकिन पहला नहीं। साल 2018 में भी इसी तरह का मामला सामने आया था भागलपुर जिले से जहाँ उदघाटन के 4 दिन बाद हीं बांध टुट गया था तब यह बहाना बनाया गया था कि चुहा ने बाँध में छेद कर दिया था। दरअसल बिहार में असली चुहा एनडीए हीं है जो जनता के जेब को लगातार काट रही है उक्त बातें बहुजन समांज पार्टी के प्रदेश प्रभारी डॉ.मुन्ना कुशवाहा ने प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से कहा है।
डॉ.कुशवाहा ने आगे कहा है कि सिर्फ पुल निर्माण में हीं भ्रष्टाचार नहीं जारी है बल्कि हर स्तर पर भ्रष्टाचार का बोलबाला है। बिहार में शासन नाम की कोई चीज नहीं रह गयी है यही कारण है कि बिहार के सबसे बड़े अस्पताल पीएमसीएच में कोरोना का ईलायज करवाने आयी युवती से बलात्कार हो जाता है। दवा लाने गये एक व्यक्ति की भागलपुर में मौत हो जाती एम्बुलेंस आने तक में 12 घंटे का वक्त लग जाता है। सुपौल में रोजाना एक डॉक्टर को अस्पताल जाने के लिए ठेले में चढ़ना पड़ता है। इन चारों घटनाओं को समग्रता में देखने पर यह साफ हो जाता है कि बिहार में कानून का राज की जगह जंगलराज स्थापित हो चुका है। नीतीश और लालू के राज्य में कोई अंतर नहीं दिख रहा है। एनडीए सरकार चुनाव के रास्ते विपक्ष को कोरोना के बहाने दबा कर सत्ता में आने का सपना छोड़ फिलहाल शासन सत्ता पर ध्यान दे। वर्ना जनता तैयार है जैसे को तैसा करने के लिए ।