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कृषि विभाग के एकीकृत उद्यान विकास योजना से बढ़ेगी किसानों की आमदनी

 जनबोल न्यूज माननीय मंत्री, कृषि विभाग, बिहार डॉ० प्रेम कुमार ने कहा कि राज्य स्कीम मद से उद्यान विकास हेतु वैसे घटक, जो राष्ट्रीय बागवानी

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shaziya shamim

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माननीय मंत्री, कृषि विभाग, बिहार डॉ० प्रेम कुमार ने कहा कि राज्य स्कीम मद से उद्यान विकास हेतु वैसे घटक, जो राष्ट्रीय बागवानी मिशन/मुख्यमंत्री बागवानी मिशन में समाहित नहीं हैं, उन सभी घटकों को एक साथ समेकित कर एक नई योजना का स्वरूप वित्तीय वर्ष 2020-21 में तैयार किया गया है। इसका उद्देश्य किसानों को उद्यान के क्षेत्र में अतिरिक्त संभावना वाले घटकों के लिए सहायता प्रदान कर उनकी आय के सृजन तथा आमदनी स्रोत को बढ़ावा देना है। इस योजनान्तर्गत शुष्क क्षेत्रों में फलों का प्रत्यक्षण, अन्तर्वर्ती फसल को बढ़ावा देना, लत्तीदार सब्जियों हेतु अलान का अस्थायी निर्माण एवं गुणवत्ता पूर्ण सब्जियों के पौध वितरण का कार्य भी शामिल है।

उन्होंने कहा कि एकीकृत उद्यान विकास योजना शत-प्रतिशत राज्य योजना से वित्त पोषित है। वर्तमान वित्तीय वर्ष 2020-21 में राज्य स्कीम मद से शत्-प्रतिशत् 1459.36 12 लाख (चौदह करोड़ उनसठ लाख छत्तीस हजार एक सौ बीस) रूपये मात्र की योजना का कार्यान्वयन कराया जायेगा। इस हेतु कृषि विभागीय उद्व्यय के अधीन शत्-प्रतिशत राज्य स्कीम मद से सहायतानुदान दिया जायेगा। कृषि के सर्वांगीण विकास के लिए कृषि रोड मैप 2017-22 तैयार किया गया है। कृषि रोड मैप में बागवानी विकास को काफी प्रमुखता दी गयी है, जिसमें एकीकृत उद्यान विकास योजना में सम्मिलित अवयव समाहित है। कृषकों के अतिरिक्त आय सृजन हेतु वर्ष 2020-21 की एकीकृत उद्यान विकास योजना की कार्य योजना स्वीकृत की गयी है।

डॉ. प्रेम ने कहा कि अतवर्ती फसल कार्यक्रम के तहत् कृषकों को प्रति हेक्टेयर बगीचे में उपलब्ध खाली/परती भू–भाग के वास्तविक रकवा 0.36 हेक्टेयर हेतु अन्तर्वर्ती फसल के रूप में ओल, हल्दी एवं अदरख की खेती के लिए कृषकों को उपरोक्त फसलों के बीज एवं जैविक उपादान पर व्यय की गयी राशि की प्रतिपूर्ति हेतु अनुदान दिया जाता है। कृषकों को बीज क्रय हेतु वास्तविक व्यय की गयी राशि अथवा राज्य के कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा संबंधित फसल (ओल, हल्दी एवं अदरख) के बीज हेतु निर्धारित राशि में से जो कम होता है, उक्त राशि का 50 प्रतिशत अनुदान के रूप में प्रतिपूरित किया जाता है। बीज का क्रय उक्त दर निर्धारण के आधार पर केन्द्र/राज्य सरकार के बीज प्रतिष्ठानों से किया जा सकता है। भारत सरकार की मार्गदर्शिका एवं उद्यान की अन्य योजनाओं की भांति इस योजना में भी किसानों के लिए डी०बी०टी० इन कैश एवं डी०बी०टी० इन काईंड दोनों विकल्प होते हैं। किसान अपनी इच्छानुसार किसी विकल्प का चुनाव कर सकते हैं।

डॉ० कुमार ने कहा कि इस कार्यक्रम का संचालन राज्य के 12 जिलों यथा – भागलपुर, सहरसा, सीतामढ़ी, शिवहर, मुजफ्फरपुर, वैशाली, समस्तीपुर, पूर्वी चम्पारण, पश्चिम चम्पारण, दरभंगा, बेगूसराय एवं खगड़िया में कराया जा रहा है। अतवर्ती फसल कार्यक्रम का भौतिक लक्ष्य 3999 हेक्टेयर है, जिसपर 852.918 लाख रूपये का सहायतानुदान दिया जायेगा। लक्ष्य के आलोक में भौतिक उपलब्धि 1715.57 हेक्टेयर है, शेष उपलब्धि प्रक्रियाधीन है।

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