जनबोल न्यूज
पूर्व सांसद पप्पू यादव जहानाबाद में शहीद लवकुश शर्मा के परिजनों से भेंट करने पहुंचे। कुछ दिनों पहले बारामुला (कश्मीर) में एक आतंकी हमले में बिहार के दो सीआरपीएफ जवान वीरगति को प्राप्त हुए थे। शहीद लवकुश शर्मा का पार्थिव शरीर जब बिहार पहुंचा, तो अपने अमर सपूतों के अंतिम दर्शन और आखिरी सलामी के लिए लोगों का सैलाब उमड़ पड़ा। लवकुश शर्मा 2014 में सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे। सीआरपीएफ ने भी 119बीएन बटालियन के इन हुतात्माओं को ट्वीट के जरिये श्रधांजलि दी थी।
पप्पू यादव ने कहा कि लवकुश शर्मा अपने माता-पिता के इकलौते बेटे थे। ग्रामीणों से बातचीत के आधार पर उन्होंने कहा कि लवकुश शर्मा जब भी छुट्टियों में अपने गांव पर आते थे तो गांव के युवाओं को सेना/पैरामिलिट्री में भर्ती लेने के लिए प्रेरित किया करते थे। पप्पू यादव ने जहानाबाद जिले के रतनी प्रखंड के आईरा गांव के निवासी शहीद लवकुश शर्मा के घर में उनके पिता सुदर्शन शर्मा, मां प्रमिला देवी, पत्नी अनीता देवी, 7 साल का बेटा सूरज और 3 साल की बेटी अनन्या को संकट की घड़ी में हौसला बनाए रखने कहा और सांत्वना दी।
इसी मौके पर पप्पू यादव ने कहा कि सिर्फ बिहार ही नहीं बल्कि पूरा देश शहीदों के परिवार के साथ खड़ा है। उन्होंने कहा कि अभी अभी तक केवल सेना के जवान जो वीरगति को प्राप्त होते हैं उन्हें ही शहीद का दर्जा मिलता है। पप्पू यादव ने पैरामिलिट्री के शहीद जवानों के लिए भी शहीद का दर्जा दिए जाने की भारत सरकार से मांग की। इस अवसर पर बिहार सरकार के खिलाफ भी स्थानीय लोगों का गुस्सा फूट पड़ा और पप्पू यादव ने जनता को शांत करवाया। पप्पू यादव ने इस अवसर पर शोक संतप्त परिवार को 70000 रुपये की आर्थिक सहायता दी। पप्पू यादव ने राज्य सरकार से भी शहीदों के परिवारों की तरफ उचित ध्यान दिए जाने की मांग की।
जाप प्रमुख पप्पू यादव ने सुशांत सिंह राजपूत मामले पर आये अदालत के फैसले का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि वो लगातार मांग करते रहे थे इस मामले की सीबीआई जांच हो, तभी कोई निष्पक्ष जांच हो सकेगी। पप्पू यादव ने कहा कि वो अभी भी निवेदन करेंगे कि जांच उच्च न्यायलय के न्यायाधीश की निगरानी में हो ताकि वो सुचारू रूप से चले। इसके साथ ही उन्होंने जोड़ा कि मामले की जांच जल्द से जल्द यानी तीन से छह महीने में पूरी करवाई जाए। इस पूरी मुहीम में साथ देने के लिए उन्होंने पत्रकारों और सुशांत सिंह राजपूत के समर्थकों को लड़ाई की पहली जीत की बधाई दी।