जनबोल न्यूज
एआईकेएससीसी के देशव्यापी आह्वान पर देश के किसानों को विदेशी कम्पनियों व भारतीय कारपोरेट से बचाने के लिए, भारत छोड़ो आन्दोलन की इवर्षगांठ पर ‘कारपोरेट भगाओ, किसानी बचाओ’ का अभियान शुरु किया ।जिसमें लाखों किसानो ने भाग लिया।
केन्द्र की आरएसएस-भाजपा नेतृत्व वाली मोदी सरकार द्वारा अमल किए गये लाॅकडाउन ने अभूतपूर्व व अमानवीय रुकावटों को खड़ा किया है।जबकि इससे कोरोना महामारी का फैलाव भी कम न हुआ।
भारत छोड़ो आन्दोलन की वर्षगांठ पर ‘कारपोरेट भगाओ, किसानी बचाओ’ का अभियान शुरु हुआ। जिन्होंने किसान समुदाय के पूर्व में जीते हुए कई अधिकार छीन लिये। राज्य सरकारों के कार्यक्षेत्र में आते थे। जिन पर विपक्षी दलों व उनकी राज्य सरकारों ने भी विरोध का दिखावा नहीं किया कि कहीं कारपोरेट नाराज ना हो जाएं।
आवश्यक वस्तु कानून के दायरे से सभी अनाज, खाद्यान्न, तिलहन, आलू व प्याज हटाए जाने से, जो सभी गरीबों के खाने का मूल हिस्सा हैं।वह लगभग व्यर्थ हो चुका है। मंडी समिति के नियमन से जमाखोरों और कालाबाजारी करने वालों पर नियंत्रण हटा दिया गया है। कम्पनियां अब सीधा किसानों से खरीददारी करेंगी। बड़े कारपोरेटों – वालमार्ट, मान्सेन्टो, पेप्सी आदि को ठेका खेती करने के लिए खुला निमंत्रण दिया ।
250 संगठनों के अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के नेतृत्व में कर्ज मुक्ति के लिए, सी2$50 फीसदी एमसीपी के लिए, कम से कम कोरोना संकट दौर के कर्जे, ब्याज, बिजली बिल माफी के लिए, काम और खाने की गारंटी के लिए, प्रवासी मजदूरों को राहत के लिए और गांव के गरीबों के विकास की योजनाओं के लिए, जो सब कुछ कारपोरेट और विदेशी लुटेरों को छूट दिये जाने के विरुद्ध है, अपना संघर्ष शुरु किया है।
साथ ही अखिल भारतीय किसान महासभा के बिहटा प्रखंड के दर्जनों गांव में लोगों सोशल डिसटेंस का पालन करते हुए एक दिवसीय धरना का आयोजन किया।
मौके पर बिहटा प्रखंड के अध्यक्ष सुरेंद्र प्रसाद यादव ,राजेश गुप्ता, माधुरी गुप्ता, रीता गुप्ता ,जगन्नाथ चौधरी, आसिफ, योगेंद्र राम, बबलू कुमार बृजमोहन दास एवं दर्जनों माले नेता मौके पर मौजूद रहे ।
बिहटा संवाददाता
वशिष्ट कुमार