बिहार विधान शभा चुनाव 2020 के परिणाम महागठबंधन को बहुमत के एक ऐसे मोड़ पर लाकर छोड़ दिया है जहाँ से तेजस्वी को पिछे मुड़कर देखना मजबूरी सी हो गयी है। भले मांझी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अपना समर्थन सौंप आये हों लेकिन ऑफर के दायरे से बाहर नहीं हैं। तेजस्वी चुनाव में बहुमत न हासिल करने के बाबजूद अब भी सीएम की कुर्सी की ओर आशा भरी निगाहों से देख रहे हैं । अपने सपनों को पूरा करने के लिए पूराने महागठबंधन के सहयोगी और अभी एनडीए के दो छोटे घटक दल मुकेश सहनी और जीतन राम मांझी को अपनी तरफ लाने की जुगात में लगे हैं। यह दावा एक प्रतिष्ठीत अखबार के ऑनलाईन बेबसाईट ने किया है।
बेबसाईट पर प्रकाशित खबर में राजद पार्टी सूत्रों के हवाले से दाबा किया गया है कि राजद लगातार मांझी और सहनी को अपनी तरफ लाने की कोशिश कर रहा है। हालांकि इसमें इस बात का भी खंडन किया गया है कि विकासशील इंसान पार्टी या हम(से) की ओर से कोई साकारात्मक जबाब नहीं मिल रहा है। साथ हीं दावा किया गया है कि पार्टी दोनों नेताओं के लिए अपना दरवाजा खुला रखा है।
बहुमत के लिए चाहिए 12 सीट
महागठबंधन को सता के कुर्सी हासिल करने के लिए अब भी 12 सीट की दरकार है. वैचारिक दूरी ओबैसी के नीतीश के साथ जाने से रोक रही है ऐसे मे ओवैसी की पार्टी के 5 सीटों का समर्थन लगभग तेजस्वी के साथ जाता दिख रहा है । बसपा भी एंटी भाजपा कैंप का हिस्सा है ऐसे में बसपा के एक सीट भी लगभग महागठबंधन के हीं पाले में है। महागठबंधन के 110 सीटों के साथ यदि इन्हें जोड़ दी जाये तो यह आंकड़ा 116 हो जाता है। ऐसे मे मांझी के 4 और मुकेश सहनी के 4 सीट सत्ता के दरवाजे तक पहुँचाने में मददगार हो सकता है। लोजपा पहले हीं एंटी नीतीश का कैंप का हिस्सा रही है इनके खाते भी एक सीट है कुल मिलाकर यदि इन पार्टियों को साध लिया जाता है तो फिलहाल एनडीए की सत्ता आसानी से महागठबंधन का हो सकता है और तेजस्वी के मुख्यमंत्री बनने का सपान साकार हो सकता है ।