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महात्मा ज्योतिबा फुले ने समाज को अंधकार से निकालकर शिक्षा की अलख जगाई : राकेश

जनबोल न्यूज आज शनिवार को स्थानीय सोहसराय के बबुरबन्ना मोहल्ले में भारत के महान समाज सुधारक महात्मा ज्योतिबा फुले की 130 वाँ निर्वाण दिवस साहित्यिक

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shaziya shamim

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आज शनिवार को स्थानीय सोहसराय के बबुरबन्ना मोहल्ले में भारत के महान समाज सुधारक महात्मा ज्योतिबा फुले की 130 वाँ निर्वाण दिवस साहित्यिक मंडली शंखनाद के अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत सिंह के अध्यक्षता में आयोजन किया गया। सभी कार्यक्रम कोरोना संक्रमण के कारण आपस में शारीरिक दूरी अपनाते हुए किये गए।इस दौरान समाजसेवियों, साहित्यकारों ने महात्मा ज्योतिबा फुले को याद किया और उनके आदर्शो को आत्मसात करने का संकल्प लिया।उपस्थित लोगों ने महात्मा ज्योति राव फुले की तस्वीर पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।

इस अवसर पर शंखनाद के सचिव समाजसेवी राकेश बिहारी शर्मा ने फुले के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा- महात्मा फुले एक महान भारतीय विचारक, समाज सेवी, प्रकांड लेखक, महान दार्शनिक तथा क्रांतिकारी जमीनी कार्यकर्ता थे। सितम्बर 1873 में इन्होने महाराष्ट्र में “सत्य शोधक समाज” नामक संस्था का गठन किया। महिलाओं व कमजोर वर्गों के उत्थान के लिय इन्होंने अनेक कार्य किए। इसी तरह हम सबको भी सभ्य समाज के निर्माण के लिए बाल-विवाह एवं दहेज-प्रथा को देश से उखाड़ फेकना होगा। वहीं शिक्षा की अलख हर तबके के बच्चों को समान रूप से मिले इसके लिए सभी समाजों के युवा छात्र-छात्रों को आगे आकर पहल करनी चाहिए। महात्मा ज्योतिबा राव फुले ने समाज को शिक्षा के अंधकार से निकालकर शिक्षा की अलख जगाई। जिसका फायदा आज पुरे देश को मिल रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसे महान समाजसेवी मरकर भी अमर रहते हैं और सारा विश्व उन्हें सम्मान देता है, क्योंकि उनका जीवन देश,धर्म और संप्रदाय के बंधन से मुक्त सम्पूर्ण मानवता के लिए समर्पित होता है। 28 नवंबर 1890 को महात्मा फूले का देहावसान हुआ था और आज उस महान समाज सुधारक की मृत्यु को 130 वर्ष होने जा रहा है, किंतु कैसी विडम्बना है कि आज भी देश में नारी शोषण, दहेज प्रथा, जाति-पाती और दलित उपेक्षा की कुरीतियां प्रचलित है। लेकिन इसमें भी सन्देह नहीं है कि यह समय कुरीतियां अधिक समय तक नहीं रह पाएगी। आज का दलित और शोषित वर्ग अब जाग चुका है और निश्चय ही जिस दिन वह पूरी तरह जाग जाएगा तभी उस कर्मयोगी महात्मा ज्योतिराव फुले की आत्मा को शांति प्राप्त होगी।

अध्यक्षता करते हुए शंखनाद के अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत सिंह ने कहा- महात्मा ज्योतिबा फुले की पुण्यतिथि मनाकर उन्हें याद करना ही फुले को श्रद्धांजलि देना नहीं है बल्कि हमें उनके बताए हुए मार्ग पर चलना भी होगा और प्रयास करना होगा कि हम उनके जैसा तो नहीं पर उनके जैसी थोड़ी बहुत सोच लेकर चल सकें। उन्होंने कहा कि बिना किताब और शिक्षा से गांव देश और समाज का विकास नहीं हो सकता। महात्मा ज्योतिबा फुले ने कहा था कि अगर एक परिवार में एक महिला शिक्षित हो जाती है तो पूरा परिवार अपने आप शिक्षित हो जाएगा। महात्मा ज्योतिबा फुले और राष्ट्रमाता सावित्री बाई फुले ने महिलाओं को घर से बाहर निकाल कर शिक्षा का अधिकार दिलाया, क्योंकि पहले महिलाओं को शिक्षा का अधिकार नहीं मिल पाता था और इसके लिए उन्होंने संघर्ष किया। उन्होंने कहा कि जो समाज को सही दिशा में ले जाने और परिवर्तन करने का प्रयास करते हैं तो उसका ही विरोध होता है। फुले का भी विरोध हुआ, लेकिन वे सत्य की राह पर चलते गए और अपने उद्देश्य में सफल होकर समाज को शिक्षित करने में सफल हुए। बता दें कि महात्मा ज्योतिबा फुले ने जाति भेद, वर्ण भेद, लिंग भेद, ऊंच-नीच के खिलाफ बड़ी लड़ाई लड़ी।

इस मौके पर समाजसेविका सविता बिहारी, स्वाति कुमारी, शंखनाद के मीडिया प्रभारी नवनीत कृष्ण, समाजसेवी ब्रज भूषण प्रसाद, धीरज कुमार, विजय कुमार सहित दर्जनों लोग शामिल थे

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