जनबोल न्यूज
पूर्णिया :बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से लक्ष्य योजना के तहत ज़िले के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों के प्रमाणीकरण के लिए राज्यस्तरीय निरीक्षण टीम इन दिनों जिले के दौरे पर है। इस क्रम में ज़िले के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कसबा के प्रमाणीकरण को लेकर राज्यस्तरीय निरीक्षण टीम ने निरीक्षण किया। इस दौरान इस टीम ने अस्पताल की स्वास्थ्य सेवा की गुणवत्ता से संबंधित जांच की। निरीक्षण टीम में डॉ प्रबीर मोहराना, स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में कार्य करने वाली अंतराष्ट्रीय संस्था निपी के बिहार हेड गौरव कुमार शामिल हैं।
संस्थागत प्रसव से जुड़ी सेवाओं को पहले से बेहतर करने के उद्देश्य से लक्ष्य योजना के गाइडलाइन के अनुरूप सीएचसी को पूरी तरह से सुसज्जित किया गया था। बड़े पैमाने पर सफाई की व्यवस्था की गई थी। अस्पताल से जुड़े सभी चिकित्सा पदाधिकारी, स्वास्थ्य कर्मियों के द्वारा इलाज कराने वाले सभी मरीज व परिजनों का ख़्याल रखा जा रहा है।
जांच टीम ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मचारियों से अलग-अलग बिंदुओं पर जानकारी ली –
निरीक्षण के दौरान टीम ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी व उपस्थित स्वास्थ्य कर्मचारियों से अलग-अलग बिंदुओं पर जानकारी ली। टीम के सदस्यों ने प्रसव कक्ष एवं प्रसूति विभाग में पदस्थापित चिकित्सक और जीएनएम से गर्भवती महिलाओं को मिलने वाली सुविधाओं के संबंध में जानकारी लेने के बाद बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने का दिशा-निर्देश दिया। इस अवसर पर क्षेत्रीय कार्यक्रम प्रबंधक नजमुल होदा, लक्ष्य इनिसिएटिव शिवशेखर आनंद, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कसबा के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ अशोक कुमार सिंह, बीएचएम उमेश पंडित सहित कई अन्य स्वास्थ्य विभाग से जुड़े कर्मी मौजूद थे।
प्रसव कक्ष व मूलभूत सुविधाओं को लेकर टीम ने की गहन जांच
कसबा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के दो दिवसीय निरीक्षण कार्यक्रम के तहत स्टेट टीम के सदस्यों द्वारा सीएचसी में सुरक्षित प्रसव के लिए उपलब्ध संसाधनों की बारीकी के साथ जांच की गयी। प्रसूति विभाग से संबंधित सभी तरह के आवश्यक फाइलों की गहन जांच करते हुए अस्पताल के अधिकारियों व कर्मियों से लक्ष्य प्रमाणीकरण के लिए गाइडलाइन से संबंधित सभी तरह के महत्वपूर्ण बिंदुओं पर विस्तृत रूप से जानकारी ली गई। इस संबंध में आरपीएम नजमुल होदा ने बताया कि निरीक्षण के दौरान लेबररूम से संबंधित फाइलों की अद्यतन जानकारी ली गई। इसके लिए प्रसव गृह में पदस्थापित जीएनएम को बेहतर कार्य करने के लिए जिम्मेदारी दी गई है। लक्ष्य टीम के द्वारा सीएचसी के अधिकारियों व जीएनएम को पहले ही प्रशिक्षित किया चुका है। उन्हें आवश्यक दिशा-निर्देश देते हुए कहा गया कि प्रसूति विभाग में मग्सल्फ़, कैल्शियम ग्लूकोनेट, डेक्सामेथासोन, एम्पीसिलिन, जेन्टामाईसीन, मेट्रोनिदाजोल, हाइड्रोकोरटीसोन सक्सीनेट, नेफीदेपिन, मिथाइलडोपा जैसी दवाओं की आपूर्ति हर समय रहनी चाहिए ताकि समय पर गर्भवती महिलाओं को किसी भी तरह से कोई परेशानी नहीं हो।
-लक्ष्य योजना द्वारा प्रमाणीकरण से बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं होंगी मुहैया:
लक्ष्य योजना का मूल उद्देश्य प्रसूति विभाग से संबंधित सभी तरह की सुविधाओं को सुदृढ़ बनाना और इससे जुड़ी हुई सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार लाना है। जिले में मातृ-शिशु मृत्यु दर में कमी लाने, प्रसव के बाद जच्चा – बच्चा को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से लक्ष्य प्रमाणीकरण बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है। बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से ही स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा लक्ष्य कार्यक्रम की शुरूआत की गयी है। इसके तहत प्रसव कक्ष, मैटरनिटी सेंटर, ऑपरेशन थियेटर व प्रसूता के लिए बनाये गए एसएनसीयू की गुणवत्ता में सुधार लाना है।
कसबा स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रसव कक्ष व मेटरनिटी सेंटर को लक्ष्य प्रमाणीकरण के गाइडलाइन के तहत संस्थागत प्रसव के लिए सुव्यवस्थित किया जा चुका है। जिसके लिए लक्ष्य के मानकों के अनुसार प्रसव से संबंधित सभी तरह की सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं। कसबा सीएचसी का पहले ही अस्पताल स्तर पर क्वालिटी सर्किल टीम, जिला स्तर पर जिला गुणवत्ता यकीन समिति और डिविजनल स्तर पर रिजनल कोचिंग टीम के स्तर से निरीक्षण किया जा चुका है। इसके बाद ही निर्धारित मानकों के आधार पर राज्यस्तरीय टीम निरीक्षण करने के लिए पहुंची है। कम से कम 70 प्रतिशत उपलब्धि प्राप्त होने के बाद इसे राज्य स्तर पर मान्यता लेने के लिए भेजा गया था। राज्य स्वास्थ्य समिति द्वारा गठित टीम के द्वारा प्रसव कक्ष और ओटी के निरीक्षण के बाद ऑडिट की जाती है। मुख्यालय टीम द्वारा विभिन्न मानकों के निरीक्षण में कम से कम 70 प्रतिशत अंक प्राप्त होने चाहिए तभी राज्यस्तरीय टीम के द्वारा उसे प्रमाण पत्र दिया जाता है। राज्यस्तरीय प्रमाण पत्र मिलने के बाद इसे स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार के पास भेजा जायेगा। फिर उसके बाद राष्ट्रीय स्तर की टीम अस्पताल का निरीक्षण व ऑडिट करेगी। कम से कम 70 प्रतिशत अंक मिलने पर ही लक्ष्य प्रमाणीकरण प्राप्त होता है। कई महीने से स्थानीय अस्पताल प्रशासन, यूनिसेफ व केयर इंडिया की टीम के द्वारा प्रसव केंद्र को पूरी तरह से लक्ष्य के गाइडलाइन के अनुसार तैयार किया गया था।