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Bihar lockdown : हाईकोर्ट के सख्त रूख के बाद , मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लेंगे लॉक डाउन पर फैसल

Janbol News Bihar lockdown : कोरोना महामारी के लगातार बढ़ते संक्रमण दर को देखते हुए आज पटना बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार में लॉकडाउन

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Bihar lockdown : कोरोना महामारी के लगातार बढ़ते संक्रमण दर को देखते हुए आज पटना बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार में लॉकडाउन लगाने का निर्णय ले सकते हैं। लॉकडाउन की संभावना इसलिए भी बढ़गयी है क्योंकि पटना हाईकोर्ट से सरकार से तलखी भरे लहजे में सवाल किया है. हाईकोर्ट ने स्पष्टपुछा है कि बिहार में लॉकडाउन लगेगा या नहीं 4 मई यानि आज हीं तक सरकार को बतानी है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि सरकार यदि फैसला नहीं लेती है तो कोर्ट कड़ा पैसला ले सकता है। बताते चलें की आज आपदा प्रबंधन समूह की बैठक तय की गई है। माना जा रहा है कि होने वाली बैठक में कई अहम निर्णय लिये जा सकते हैं साथ हीं संक्रमण की रोकथाम के लिए कई नए आवश्यक निर्देश भी जारी होने की संभावना है।

सरकार के रवैये पर क्या कहा है कोर्ट ?

पटना हाईकोर्ट ने कहा कि कोर्ट के आदेश के बाद भी कोरोना मरीजों के उपचार की सुविधाएं नहीं बढ़ी हैं। राज्य के अस्पतालों में निर्बाध ऑक्सीजन आपूर्ति की अब तक कोई ठोस कार्यनीति नहीं बनी है। केंद्रीय कोटा से मिले रोजाना 194 एमटी ऑक्सीजन की जगह मात्र 160 एमटी ऑक्सीजन का उठाव हो रहा है। हाईकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि राज्य में कोई एडवाइजरी कमेटी तक नहीं बनी जो इस कोरोना विस्फोट से निपटे, कोई वार रूम तक नहीं बना है। ऐसा लग रहा है कि पूरा तंत्र ध्वस्त हो चुका है। बेड व वेंटिलेटर की कमी और पांच सौ बेड का बिहटा ईएसआईसी अस्पताल शुरू करने के आदेश पर भी पूरी तरह काम नहीं हुआ। सरकारी रिपोर्ट भी भ्रामक थी, इसलिए एक स्वतंत्र कमेटी बनाई। उसकी रिपोर्ट के उलट आंकड़े कोर्ट में विभाग दे रहा है। विभाग ने बताया कि प्रेशर स्विच एब्जॉर्वेशन प्रणाली के दो प्लांट दो कोविड अस्पतालों में लग गए और काम भी शुरू हो गया, लेकिन विशेषज्ञों की कमेटी ने रिपोर्ट दी है कि आजतक किसी प्लांट से ऑक्सीजन उत्पादन नहीं शुरू हुआ है। कोर्ट ने महाधिवक्ता से कहा कि मंगलवार तक सरकार से बात कर बताएं कि बिहार में लॉकडाउन ( Bihar lockdown) लगेगा या नहीं। अगर मंगलवार तक कोई निर्णय नहीं आता है तो हाईकोर्ट कड़े फैसले ले सकता है। बताते चलें की यह टिप्पणी न्यायमूर्ति चक्रधारी शरण सिंह और न्यायमूर्ति मोहित कुमार शाह की खंडपीठ ने कोरोना मरीजों के उपचार के संबंध में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मौखिक रूप से की है।

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