सात बार लोकसभा की सदस्य रही गीता मुखर्जी को दरभंगा बेगूसराय में बिहार महिला समाज के लोगों ने उनके 100वें जन्मदिन पर याद किया गया। इस दौरान मधुबनी में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए संगठन के बिहार राज्यसचिव राजश्री किरण ने कहा गीता मुखर्जी महिला आंदोलन की सशक्त आवाज थीं। वे संसद के अंदर और बाहर दोनों जगह महिला अधिकारों के लिए संघर्ष करती थीं। महिलाओं के लिए 1996 में 33% आरक्षण का प्रस्ताव पहली बार गीता मुखर्जी ने हीं रखी थी। इस बिल के लिए बनी संयुक्त संसदीय समिति की वे अध्यक्ष भी थे । अखिल भारतीय महिला फेडरेशन के अध्यक्ष के रूप में भी उन्होंने पूरे देश में महिलाओं के ऊपर हो रहे शोषण के खिलाफ संघर्ष किया । वे बंगाल में दो बार विधायक एवं 7 बार सांसद के रूप में चुने गए एवं वामपंथी आंदोलनों में अपनी अग्रणी भूमिकाओं में रहकर पार्टी को धारदार बनाया । महिला उत्थान, शोषण उत्पीड़न एवं उनके अधिकारों का राजनीतिकरण के खिलाफ भी वे संघर्ष करती थी। आज उनके जन्मशताब्दी पर उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए सम्पूर्ण बिहार में महिलाओं के सवाल पर , महिला हिंसा एवं अधिकार के लिए जुझारू संघर्ष तेज करने का संकल्प लेने की आवश्यकता है । महिला आरक्षण बिल आज भी महिला आंदोलन की सबसे प्रमुख मांग में से है। उस वक्त विपक्ष में बैठी भाजपा बिल से समर्थन में कॉमरेड गीता मुखर्जी के साथ खड़ी थी। आज भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार है। कॉमरेड गीता मुखर्जी को याद करते हुए मैं केंद्र सरकार से मांग करती हूं कि वर्षों से लंबित महिला आरक्षण बिल को पारित करे जिससे मुख्यधारा की राजनीति में महिलाओं को उचित भागीदारी मिल सकें। मधुबनी और बेगूसराय दोनों जगह महिला समाज के कार्यकर्ताओं की सैंकड़ों की संख्या में उपस्थिति रही।
A Boom in Fitness Trackers, a Bust in Fitness – ConscienHealth super kamagra The Fitness-Data Revolution Is Just Getting Started