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बंगाल के संदेशखाली में क्‍यों सड़क पर हैं पीड़‍िताएं और चुप हैं ममता बनर्जी

कोलकाता:   बंगाल के उत्‍तर 24 परगना जिले में स्थित संदेशखाली गांव का नाम इन दिनों राष्‍ट्रीय स्‍तर पर सुर्खियों में छाया हुआ है। यहां सालों

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abhijay kumar

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कोलकाता:   बंगाल के उत्‍तर 24 परगना जिले में स्थित संदेशखाली गांव का नाम इन दिनों राष्‍ट्रीय स्‍तर पर सुर्खियों में छाया हुआ है। यहां सालों से दबी शोषण, यौन उत्‍पीड़न, राजनीतिक सत्‍ता के दुरुपयोग,  सामंतवादी व्‍यवस्‍था और घोर अत्‍याचार की भयानक कहानी अचानक आठ  फरवरी को ज्‍वालामुखी बनकर फूट पड़ी , जिसकी भयावहता से पूरा देश दंग है।  संदेशखाली गांव ने पहली बार मीडिया का ध्‍यान जब आकर्षित किया जब  पांच जनवरी को ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) के अधिकारियों और केंद्रीय  बलों के जवानों पर भीड़ ने लाठी-डंडे और पत्‍थरों से हमला किया गया। हमले में ईडी के तीन अधिकारी घायल हो गए थे। ईडी वहांं  करोड़ों रुपए के राशन वितरण घोटाला के सबंध में तृणमूल नेता शाहजहां शेख के आवास पर छापेमारी करने गई थी। ईडी का दवाा है क‍ि हमला शाहजहां शेख  के इशारे पर किया गया। इसके बाद से शाहजहां शेख फरार है। हमले के संबंध में ईडी ने कलकत्‍ता हाई कोर्ट में मामला दायर किया है। हमले की सीबीआइ जांच की मांग की है।

उल्‍लेखनीय है क‍ि ईडी ने पहले ही राशत वितरण घोटाला में तृणमूल नेता और वन मंत्री ज्‍योतिप्रिय मल्लिक को गिरफ्तार कर लिया है। ईडी ने शाहजहां शेख को भी पूछताछ के लिए सबसे पहले 29 जनवरी को समन जारी किया था। इसके बाद पांच फरवरी को दूसरा नोटिस जारी करते हुए अपने कोलकाता के साल्‍टलेक स्थित कार्यालय में आत्‍मसमर्पण के लिए कहा। तीसरा नोटिस नौ फरवरी को जारी किया। शेख की तरफ से उनका वकील ईडी के कार्यालय पहुंचा था।

पीडि़त महिलाओं का दर्द फूटा 

शाहजहां शेख की फरारी के बाद गांव की पीडि़त महिलाओं ने हिम्‍मत दिखाई और आठ फरवरी को सैकड़ों की संख्‍या में सड़़क पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया और मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी के बड़े नेताओं के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए । महिलाओं ने भगोड़े शाहजहां शेख की गिरफ्तारी की मांग की। मगर मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी ने पीडि़ताओं के पक्ष में ममता के दो शब्‍द भी नहीं कहें। उन्‍होंने कहा क‍ि संदेशखाली में भाजपा और आरएसएस अशांति फैला रही है। महिलाओं ने आरोप लगाया कि शाहजहां शेख और उसके सहयोगियों शिबूप्रसाद हाजरा, उत्‍तम सरदार, और अमीर गाजी ने उनका सूर्यास्‍त के बाद घर से निकलना दुष्‍वार कर दिया था। आरोप लगाया क‍ि कई महिलाओं के साथ शाहजहां शेख और उसके सहयोगी तृणमूल के कार्यालय में ही बारी-बारी से दुष्‍कर्म करते थे। घटना की शिकायत करने पर परिवार को जान से मारने की धमकी देते थे। इसके अलावा महिलाओं ने ग्रामीणों की जमीन जबरदस्‍ती हड़़पकर वहां फिशरीज बनाने और उनकी मजदूरी का पैसा जबरदस्‍ती छीन लेने का भी आरोप लगाया।  हालांकि यह पहली बार नहीं था जब महिलाओं ने यौन उत्‍पीड़न और शोषण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। उनका कहना है कि इस संबंध में जब उन्‍हेांने स्‍थानीय पुलिस थाना में तृणमूल के नेताओं की अत्‍याचार के खिलाफ शिकायत की तो पुलिस ने उल्‍टा उनपर ही शाहजहां शेख से बात कर मामला सलटाने का दबाव बनाया।  एक बार हिम्‍मत करके जब गांव की पीडि़ताओं ने मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी तक अपनी शिकायत और शोषण की बात पहुंचाने की कोशिश की, मगर बीच में ही उन्‍हें रोक दिया गया।  महिलाओं ने यह भी दावा किया कि शाहजहां शेख के आवास के बाहर ईडी अधिकारियों पर हमले में भीड़ में सबसे आगे शिबू हाजरा, उत्‍तम सरदार और अमीर गाजी देखे गए।

पीडि़ताओं ने किए उग्र प्रदर्शन और धारा 144 लागू 

दूसरे दिन नौ फरवरी को भी संदेशखाली की पीडि़त महिलाओं ने फिर शाहजहां शेख और उसके सहयोगियों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर सड़क पर  उग्र प्रदर्शन किए। उन्‍होंने हाथ में झाड़ू़ू डंडे , कटारी आदि लहराते हुए  गांव में जुलूस निकाला। इसके बाद शिब प्रसाद हाजरा के घर में तोड़फोड़़ की और आग लगा दी। जेलियाखाली में हाजरा के पोल्‍ट्री फार्म को आग के हवाल कर दिया। महिलाओं ने संदेशखाली पुलिस स्‍टेशन के सामने भी जोरदार प्रदर्शन किया।  पुलिस अधीक्षक हुसैन मेहेदी रहमान ने बताया क‍ि इलाके में भारी संख्‍या में पुलिस बल तैनात किए गए हैं। स्थिति नियंत्रण में है। इसके बाद 10 फरवरी को संदेशखाली में आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है। 13 फरवरी को कलकत्‍ता हाई कोर्ट ने निषेधाज्ञा निलंबित करने का आदेश दिया। बावजूद संदेशखाली से निषेधाज्ञा हटाकर इसके विभिन्‍न प्रवेश द्वार पर पुलिस ने धारा 144 लागू कर दी।

संदेशखाली पर सियासी पारा उफान पर , ममता बोलीं- बोलूंगी तो ईडी घर आ जाएगी 

संदेशखाली की घटना पर राज्‍य का सियासी पारा उफान पर रहा। 18 फरवरी को बंगाल की मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा क‍ि उन्‍हें कुछ भी बोलने का अधिकार नहीं है। यद‍ि वह कुुछ बोलेंगी तो ईडी की टीम उनके घर आ जाएगी। उन्‍होंने कोलकाता में एक कार्यक्रम के इतर पत्रकारों से कहा क‍ि मौलिक अधिकारों और देश की संप्रभुता के बीच संतुलन को नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए। यदि संविधान केवल एजेंसी द्वारा चलाया जाएगा तो हम इसे स्‍वीकार नहीं कर सकते। उन्‍होंने सवाल भी किया, पूछा क्‍या भारत राष्‍ट्रपति चुनाव की ओर बढ़ रहा है। देश में संघीय ढ़ांचा पूरी तरह से ध्‍वस्‍त कर दिया गया है। कहा क‍ि देश का संविधान बनाते हुए लोकतंत्र, संघवाद और धर्मनिरपेक्षता का ख्‍याल रखा गया था। इसकी रक्षा जरूरी है। उन्‍होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कटाक्ष करते हुए कहा क‍ि मैंने राजीव गांधी से लेकर मनमोहन सिंह तक कई प्रधानमंत्रियों के साथ काम किया मगर ऐसा अच्‍छा पीएम आज तक नहीं देखा।

राज्‍यपाल ने किया दौरा 

संदेशखाली में पीड़ित महिलाओं के प्रदर्शन बाद राज्‍यपाल ने वहां दाैरा किया और पीडि़ताओं से सीधे बातचीत की। इसके बाद उन्‍हेांने अपनी रिपोर्ट में संदेशखाली की हालत बेहद चिंताजनक बताया और राजभवन से पीड़िताओं की हर संंभव मदद का आश्‍वासन दिया। घटना पर कलकत्‍ता हाई कोर्ट के न्‍यायाधीश अभिजीत गंगोपाध्‍याय ने क‍हा क‍ि यह भयानक है, मैं गम और गुस्‍से में हूं ।

इसके पहले तृणमूल के राज्‍य प्रवक्‍ता कुणाल घोष ने दावा किया क‍ि भाजपा और माकपा के कार्यकर्ता इलाके में अशांति फैला रहे हैं। वे लोगों को उकसा रहे हैं। क्षेत्र में टीएमसी के एक या दो नेताओं के खिलाफ गुस्‍सा हो सकता है, मगर विपक्षी पार्टियां इसका फायदा उठा रही हैं। वहीं भाजपा के राज्‍य प्रवक्‍ता शमिक भट्टाचार्य ने कहा क‍ि यह घटना  लोगों के दबे गुस्‍से का नतीजा है। वहीं माकपा नेता तन्‍मय भट्टाचार्य ने कहा क‍ि टीएमसी नेताओंं द्वारा सैकड़ों एकड़ भूमि पर अवैध कब्‍जा और  पुलिस की निष्क्रियता के कारण लोगों का गुस्‍सा फूटा हैै।

इसके बाद बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने 60 से ज्‍यादा भाजपा विधायकों और कार्यकर्ताओं के साथ संदेशखाली मार्च किया। मगर पुलिस ने धारा 144 और कानून व्‍यवस्‍था बिगड़़ने की आशंका बताकर उन्‍हें संदेशखाली के प्रवेश द्वार पर ही रोक दिया। कांग्रेस प्रदेश अध्‍यक्ष अधीर रंजन चौधरी और भाजपा की केंद्रीय समित‍ि के सदस्‍य भी संदेशखाली पहुंचे मगर पुलिस ने सभी प्रतिनिधि दल को रोक दिया। 19 फरवरी को राष्‍ट्रीय महिला आयोग की अध्‍यक्ष रेखा शर्मा संदेशखाली की पीडि़ताओं से बातचीत के लिए पहुंची। इसके पहले पुलिस द्वारा एक पीडि़ता के बच्‍चे को छीनकर फेंक देने के मामले की जांच के लिए बाल संरक्षण आयोग का प्रतिनिधि दल पहुंचा। संदेशखाली में ज्‍यादातर पीडि़ताओं के पिछड़ी जाति के होने के कारण राष्‍ट्रीय पिछड़ा आयोग का प्रतिनिधि मंडल भी पहुंचा था।

संदेशखाली में पीड़िता के घर पर हमला, तृणमूल नेताओं के अत्याचार के खिलाफ खोला था मुंह

बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के संदेशखाली में स्थानीय तृणमूल नेताओं के खिलाफ ग्रामीण लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे। इस बीच 17 फरवरी, शनिवार की रात एक पीड़िता के घर पर पुलिस के वेश में कुछ लोगों ने हमला किया। उसके घर में तोड़फोड़ की गई। महिला का आरोप है कि उसने तृणमूल नेताओं के खिलाफ मुंह खोला था, उसी का यह नतीजा है। कहा कि तृणमूल समर्थित बदमाश उसकी हत्या की मंशा से उसके घर आए थे। लेकिन वह उस समय घर पर नहीं थी, जिससे वह बच गई। पीड़िता ने कहा कि वह तृणमूत नेताओं के यौन शोषण की शिकार है। पुलिस में इसकी शिकायत दर्ज कराई है, लेकिन आरोपित खुलेआम बिना भय के इलाके में घूम रहे हैं।

आठ दिनों की पुलिस हिरासत में भेजा गया शिबू हाजरा

वहीं 17 फरवरी, शनिवार को संदेशखाली कांड में गिरफ्तार तृणमूल नेता शिबू हाजरा को रविवार को कोर्ट में पेश किया गया। न्‍यायाधीश ने उसे आठ दिनों की पुलिस हिरासत में भेजने का निर्देश दिया। शिबू हाजरा के खिलाफ सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के प्रयास मामला दर्ज किया गया है। पुलिस ने संदेशखाली के चार इलाकों से धारा 144 हटा ली है। 15 इलाकों में अभी भी धारा 144 लागू है। ये सभी इलाके संदेशखाली के प्रवेश द्वार हैं। दूसरी ओर रविवार को कोलकाता में बुद्धिजीवियों तथा आम लोगों ने जुलूस निकाला।

संदेशखाली पीड़िता ने न्यायिक मजिस्ट्रेट के पास दर्ज कराया बयान

बंगाल में विपक्षी दलों ने संदेशखाली में एक पीड़िता द्वारा पुलिस के बजाय न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने अपना बयान दर्ज कराने के बाद राज्य पुलिस की विश्वसनीयता पर सवाल उठाना शुरू कर दिया है। उसके बयान के आधार पर ही स्थानीय तृणमूल कांग्रेस नेता शिबू हाजरा को शनिवार को गिरफ्तार कर लिया गया था।
विपक्षी दलों ने दावा किया है कि यह घटनाक्रम इस बात का ठोस उदाहरण है कि बंगाल में आम लोगों की नजर में राज्य पुलिस की कितनी विश्वसनीयता है। राज्य के वरिष्ठ भाजपा नेता और पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय सचिव राहुल सिन्हा ने कहा कि संदेशखाली में पुलिस ने कभी भी पीडि़ताओं का एफआइआर स्वीकार नहीं की। अब पीड़ित महिला को लाचार होकर न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने गुप्त बयान देना पड़ा है। माकपा केंद्रीय समिति के सदस्य डा सुजन चक्रवर्ती ने बताया कहा क जब कोई व्यक्ति किसी ऐसे व्यक्ति को गुप्त बयान देने का फैसला करता है जो न्याय प्रणाली में है लेकिन पुलिस में नहीं है, तो यह स्पष्ट हो जाता है कि आम लोगों का पुलिस पर से विश्वास खत्म हो गया है। न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने गुप्त बयान संदेशखली के स्थानीय लोगों के पिछले अनुभवों से प्रेरित है।  जब उन्होंने अतीत में कार्रवाई के लिए स्थानीय पुलिस से संपर्क किया था। लेकिन उन्हें कोई मदद नहीं मिली। शनिवार को एक स्थानीय महिला के बच्चे को पुलिस की वर्दी में कुछ नकाबपोश गुंडों ने छीन लिया और फेंक दिया। पीड़िता ने पश्चिम बंगाल बाल अधिकार संरक्षण आयोग (डब्ल्यूबीसीपीसीआर) में इसकी शिकायत दर्ज कराई है। उसके मुताबिक घटना के बाद वह मदद के लिए पुलिस के पास नहीं गई क्योंकि उसे स्थानीय पुलिस पर भरोसा नहीं है।

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