जनबोल न्यूज
केंद्र की मोदी सरकार ने राज्यों के अधिकार क्षेत्र में घुसपैठ कर संसदीय प्रक्रिया का अपमान करते हुए आनन-फानन में खेती-किसानी से संबंधित तीन कानून बनाये जो गत 27 सितंबर 20, से देशभर में लागू किया गया है। तीनों क़ृषि कानून कृषि क्षेत्र में कॉरपोरेट के कब्जा को सुगम बनाने और किसानों-बंटाईदारों को खेती-किसानी से बेदखल करने वाले हैं।
पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उप्र और राजस्थान के किसान इन किसान विरोधी कानूनों को निरस्त करने की मांगों को लेकर आंदोलनरत हैं। पूरे देश में किसान संगठनों और प्रगतिशील लोगों ने इस आंदोलन का सक्रिय समर्थन किया है। मोदी सरकार इस आंदोलन को दबाने के लिए पुलिसिया दमन के साथ-साथ फासीवादी हथकंडे अपना रही है और पर्दे के पीछे से कोर्ट का भी इस्तेमाल कर रही है।
बिहार के किसानों पर भी इन कानूनों का खतरनाक असर पड़ने वाला है। लेकिन भाजपा के मुखौटा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का राग अलाप रहे हैं।
लोकतान्त्रिक जन पहल के कोर ग्रुप की बैठक में किसान आंदोलन के प्रति अपनी एकजुटता प्रकट करते बुधवार के दिन 1.00 बजे से 3.00 बजे तक डाक-बंगला चौराहा, पटना में किसानों के मुद्दे पर एक स्थिर प्रदर्शन का आयोजन किया गया । जिसमें कई समर्थकों ने मिलकर इसे सफल बनाया.