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राजद नेता ने कहा, नीतीश जी भाजपा के आगे इतने लाचार और बेबस हो गये हैं कि एक मुस्लिम मंत्री नहीं बना सके 

जनबोल न्यूज बिहार राष्ट्रीय जनता दल के वरिष्ठ नेता इकबाल अहमद प्रदेश मुख्य प्रवक्ता अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ ने कहा कि माननीय बिहार के मुख्यमंत्री जी सोमवार

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shaziya shamim

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बिहार राष्ट्रीय जनता दल के वरिष्ठ नेता इकबाल अहमद प्रदेश मुख्य प्रवक्ता अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ ने कहा कि माननीय बिहार के मुख्यमंत्री जी सोमवार को सातवीं बार शपथ ग्रहण लेकर के बिहार के मुख्यमंत्री बने है. माननीय नीतीश कुमार जी से यह उम्मीद नहीं थी कि बिहार के 18 परसेंट मुसलमानों को जो मुंह पर तमाचा मारने का काम किया है निश्चित रूप से उनकी कथनी और करनी में बहुत फर्क है.

खालिद अनवर, गुलाम रसूल बलियावी, सलमान रागी, तनवीर अख्तर, आलम जैसे एमएलसी जदयू के पास हैं, लेकिन नीतीश जी किन्हीं को मंत्री नहीं बना सके.इकबाल अहमद प्रदेश मुख्य प्रवक्ता अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ ने कहा कि अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय अशोक चौधरी को दिए जाने का मामला है यह पूरी तरह से एक बड़े वर्ग और समुदाय को राजनीतिक रूप से हाशिए पर ले जाने की जो आरएसएस और भाजपा की नीतियां रही है, उसी के अनुरूप काम चल रहा है।

आखिर क्या कारण है कि सातवीं बार बनते ही नीतीश कुमार ने सबसे पहले अल्पसंख्यक समाज को मुख्यधारा से अलग के लिए कैबिनेट मंत्रिमंडल से अल्पसंख्यक वर्ग को बाहर करने का काम किया। क्या हुआ जो एनडीए के नेतागण कहा करते थे कि सबका साथ सबका विकास ? क्या देश के एक बड़ी आबादी को सरकार के नीतियों से बाहर रखकर सबका विकास हो सकता है ? इसे एनडीए के नेताओं को स्पष्ट करना चाहिए। कहीं ना कहीं भेदभाव की नीतियां अपनाई जा रही हैं।

क्या बिहार में मुसलमानों का वजूद खत्म हो रहा है। इसका जिम्मेदार कौन है। सत्ता में राज करने वाले लोग मुसलमानों को सियासत से दूर रखना चाहते हैं बहुत बड़ा सवाल है ? नीतीश की समाजवादी पृष्ठभूमि से मेल नहीं खाती। नीतीश जी इस कदर लाचार और बेबस हो गये हैं कि अपने कोटे से भी किसी मुस्लिम लेजिस्लेटर को मंत्री नहीं बना सके जबकि यह मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार होता है. बिहार किस ओर जा रहा है,लोकतंत्र में हर आदमी का एक विचार होता है अपना मत का वह खुद अधिकार होता है, वह खुद उसका मालिक होता है,

मुसलमानों के 76 फीसदी वोट इस बार चुनाव में महागठबंधन को मिले हैं JDU 24 फीसदी वोट डीएसएफ गठबंधन वोट मिले हैं. एआईएमआईएम का उभार हुआ है बिहार में, लेकिन बहुत सारे मुसलमान इस पार्टी की राजनीति से इत्तेफाक नहीं रखते हैं. लोगों को लगता है कि वक्त के हिसाब से परिवर्तन होना चाहिए , और निश्चित रूप से परिवर्तन की लहर थी. और जो इनको जनमत मिला है, वह दुनिया से छुपा नहीं है यह कैसे मुख्यमंत्री बने हैं एनडीए ने कैसे सत्ता पाया है, यह एक चर्चा का विशेष बना हुआ है . नी

तीश सरकार में एकलौते मुस्लिम मंत्री रहे खुर्शीद उर्फ फिरोज आलम भी अपनी सीट नहीं बचा सके हैं आपने 11 सीट दिया था कहीं ना कहीं आप के लोगों में कोई कमी होगी इसीलिए जिताने का काम नहीं किया इसका यह सिला नहीं हुआ कि आप मुस्लिम समाज को कैबिनेट से दूर रख सकते हैं, मुस्लिम को जिताने की ज़िम्मेदारी सिर्फ मुस्लिम पर है क्या? फारवर्ड , और गमाम भाजपाई सपोर्टर ने मुस्लिम प्रत्याशी को क्यों वोट नहीं किया.

2015 के चुनाव में जेडीयू के टिकट पर 5 मुस्लिम विधायकों ने जीत हासिल की थी. मुकेश सहनी भी चुनाव हार गए थे उनको क्यों शपथ दिलाई गई? ये सब कुछ सरकार की इच्छाशक्ति पर निर्भर है जो बीजेपी जेडीयू की सरकार के पास नहीं है. जेडीयू के सभी मुस्लिम उम्मीदवार क्यों हारे, इस मसले पर मेरे ख्याल से गंभीर समीक्षा की जरूरत है . आप राजनीति इस समाज को छोड़ कर के आगे बढ़ जाएगा यह चिंता का विषय है, ठीक है, आप पिछड़े की राजनीति करते हैं दलित के नाम पर राजनीति करते हैं , इस वक्त एक आम मुसलमान नाउम्मीद है. मुस्लिम महिलाओं पर हिंसा बढ़ रही है, एनआरसी-सीएए का मसला भी है और कोई आदमी हमारी आवाज उठाने वाला नहीं.

इकबाल अहमद प्रदेश मुख्य प्रवक्ता अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ ने कहा कि मुझे अफसोस यह है माननीय नीतीश कुमार जी के पार्टी में मुस्लिम समाज से एमएलसी है लेकिन अशोक चौधरी जी, मंगल पांडे जैसे लोगों को यह ना विधायक हैं ना एमएलसी है, उनको कैबिनेट का मंत्री बनाया गया और किस वजह से अशोक चौधरी को अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री बनाया गया इसका भी माननीय नीतीश कुमार जी को जवाब देना होगा,

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