fake remdesivir : कोरोना महामारी में कालाबाजारी कोई नई बात नहीं है। कालाबाजारी के साथ दवा ही नकली बना दी जाये तो जान जाने का डर बना रहता है। जब भारत में कोरोना महामारी की दूसरी लहर सामने आयी तो बड़े पैमाने पर लोग संक्रमित होने लगे। संक्रमण से छुटकारा पाने या यो कहें कि कोरोना महामारी के दौरान घटते ऑक्सीजन लेवल के बीच संजीवनी के रूप में सामने आया इंजेक्सन Remdesivir । नकलचियों ने नकली रेमडेसिविर (Pirated Remdesivir ) बना डाला । हुलिया पैकिंग का ऐसा कि असली और नकली में फर्क मुश्किल था हाँ, कंपोजिशन में सिर्फ ग्लूकोज और नमक था। गुजरात में जब नकली रेमेडेसिविर बनाने वाले गिरोह का भंडा फूटा तो गिरफ्तारी भी हुयी।
मध्यप्रदेश में नकली असली बराबर कारगर
गुजरात से गिरफ्तार किये गये लोगों के कनेक्शन पर बात बढ़ी तो पता चला कि गिरोह ने मध्यप्रदेश में भी नकली रेमेडेसिविर (Fake Remdesivir) बेचे हैं। मध्यप्रदेश के गिरोह पर कार्यवाई के लिए सूबे के मुखिया शिवराज सिंह चौहान ने आदेश भी दे दिये। टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार पुलिस के सामने एक पेंच फंस गया है। दरअसल, इस गिरोह ने जिन मरीजों को नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बेचे थे, उसमें से 90 फीसदी मरीजों की जान इंजेक्शन लेने के बाद बच गई।
एक मई को हुआ था गिरोह का भंडा फोड़
कमते ऑक्सीजन लेवल में तथा कथित कारगर रेमडेसिविर के नकलचियों का भंडाफोड़ गुजरात पुलिस ने 1 मई को किया था। भंडाफोड़ करते हुए पुलिस ने पाया था कि नकली रेमडेसिविर निर्माण के लिए गिरोह ने पहले खाली शीशी मुंबई से खरीदा था फिर उसमें ग्लूकोज और नमक का घोल भरकर बेच दिया। नकली रेमडेसिविर सिर्फ मध्यप्रदेश और गुजरात में हीं नहीं बल्कि कई अन्य राज्यों में भी बेंचे थे। मध्यप्रदेश के कनेक्शन के बारे में भंडाफोड़ हुआ तो बात सामने आयी कि 1200 नकली इंजेक्शन बेचे गये हैं। इंदौर में 700 और जबलपुर में 500 की बिक्री की गई है।