Bihar Panchayat election 2021 : बिहार पंचायत चुनाव 2021 का कार्यकाल 15 जून 2021 को समाप्त होने जा रहा है। कार्यकाल समाप्ति के बाद पंचायतों का कामकाज कैसे चलेगा इस पर अटकलें लगायी जा रही है। बिहार के प्रमुख विपक्षी पार्टी राजद के नजर से देखा जाये तो सबसे आसान तरीका है पंचायत प्रतिनिधियों के कार्यकाल को अगले चुनाव कराये जाने की तिथि तक बढ़ायी जाये।
बताते चलें कि जैसे हीं पंचायत चुनाव 2021 को लेकर गहमा- गहमी का दौड़ शुरू हुआ था कोरोना महामारी ने पंचायत चुनाव पर रोक लगवा दिया। अब जब जून में 15 जून को कार्यकाल खत्म होगा तो मानसून शुरू होने की वजह से कोशी सिमांचल समेत पूरा बिहार लगभग बाढ़ की चपेट में रहेगा ऐसे में वैकल्पिक व्यवस्था पर बातें की जा रही है जिसकी एक कड़ी के रूप में तेजस्वी यादव का यह बयान सामने आया है।
तेजस्वी ने अपने ट्वीटर हैंडल पर लिखा है.
पंचायत लोकतंत्र की बुनियादी इकाई है। अगर निर्वाचित पंचायत प्रतिनिधियों की जगह प्रशासनिक अधिकारी पंचायतों का जिम्मा सम्भालेंगे तो यह भ्रष्टाचार व तानाशाही बढ़ाएगा। अब गॉंव स्तर पर भी सरकारी अफ़सर फाइल देखने लगेंगे तो गरीबों की सुनवाई नहीं होगी।लोकतंत्र के लिए चुने हुए लोग जरुरी हैं।
सरकार से माँग है कि कोरोना महामारी के आलोक में पंचायत चुनाव स्थगित होने के कारण आगामी चुनाव तक त्रिस्तरीय पंचायती प्रतिनिधियों का वैकल्पिक तौर पर कार्यकाल विस्तारित किया जाए जिससे की पंचायत स्तर पर कोरोना प्रबंधन के साथ-साथ विकास कार्यों का बेहतर समन्वय के साथ क्रियान्वयन हो सके।
तेजस्वी को लग रहा अफसरशाही बढ़ने का डर
बिहार पंचायत चुनाव 2021 ( Bihar Panchayat election 2021) के न होने की सुरत में क्या होगा इस पर निर्णय आना अभी बाकी है । पूरा निर्णय बिहार सरकार पंचायती राज विभाग के हाथों में सुरक्षित है लेकिन तेजस्वी यादव को अफसरशाही बढ़ने का डर सताने लगा है। तेजस्वी यादव ने अपनी मांगों में जिस वजह से पंचायत प्रतिनिधियों के कार्यकाल को बढ़ाने की मांग की है उसमें उन्हें लगता है कि अगर निर्वाचित प्रतिनिधियों की जगह प्रशासनिक पदाधिकारी कमान संभालेंगे तो अफसरशाही बढ़ने का खतरा है।