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स्कूल प्रशासन की नजाय़ज शुल्क की मांग को लेकर , शिक्षा मंत्री का पुतला दहन किया गया

जनबोल न्यूज आज ग्रामीणों ने ब्यापुर हाई स्कूल के सामने शिक्षा मंत्री का पुतला फूंका वजह है कोरोना काल में छात्रों पर लगाये गए विभिन्न

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shaziya shamim

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आज ग्रामीणों ने ब्यापुर हाई स्कूल के सामने शिक्षा मंत्री का पुतला फूंका वजह है कोरोना काल में छात्रों पर लगाये गए विभिन्न शुल्क अन्याय है .इसे छात्रों को लौटाए सरकार।
जैसा कि प्रत्येक दिन जिलाधिकारी का बयान आ रहा है कि-माध्यमिक के छात्रों को 855-sc/st-755 साथ में बारहवीं के छात्रों को 1220sc/st को 995 से लेना है जो कोरोना काल में सर्वथा अनुचित है।काम धंधों में मंदी और हद तक अनुपलब्धता के कारण बहुत से छात्र-छात्रा के माता-पिता इसे देने में असमर्थता जाहिर कर रहे है।बहुत सारे कर्ज लेकर फार्म भर रहे है।

लेकिन हद तो तब हो गयी जब बच्चे और उसके अभिभावक स्कूल पहुंच रहे है तो उनसे विभिन्न शुल्क जैसे -क्रीड़ा,बालचर,निर्धन छात्रकोष, विद्युत,मनोरंजन,विज्ञान,विद्यालय विकास शुल्क के अलावे द्वितीय एवं तृतीय त्रैमासिक परीक्षा शुल्क की वसूली प्रत्येक विद्यालय के द्वारा की जा रही है जो सर्वथा अनुचित है।

श्रीमान आप भी जानते है कि प्रत्येक विद्यालय में
1)क्रीड़ा–समान कुछ भी नही।
2)वल्चर-
3)निर्धनछात्रकोष-अनुपयोगी।
4)विद्युत-जांच हो कोई भी क्लास में पंखा नही होता।
5)मनोरंजन-कुछ भी नही।
6)विज्ञान-लैब बहुत कम स्कूलों में,वो भी केवल दिखावे के लिये।
7)विद्यालय विकास शुल्क–यह बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि क्योंकि यह प्रत्येक साल लिया जाता है लेकिन स्कूल का गेट दरवाजा,ग्रिल,बेंच,कुर्सी,जो भी टूटा फूटा है उसका निर्माण विद्यालय प्रसाशन बिल्कुल नही कर पाती है ..तो यह भी नाजायज है।

ब्यापुर हाई स्कूल संबंधित शिकायत-
1)यहां प्रिंसिपल कभी भी समय पर नही आतीं है।पूछने पर अपने पति जो कभी सेना में कर्नल रहे है उनसे धमकी और गाली दिलवाने का काम करती है।
2)मुख्य द्वार पिछले 8 साल से टूटा हुआ है।
3)चारदीवारी भी पर्याप्त नही है टूटा फूटा और कम उचाई का है।
4)उच्चमाध्यमिक का भवन 2-3 साल पहले ही बना है जो इतना खराब मेटेरियल से बना है कि कभी भी धरासाई हो सकता है।इसपर संज्ञान लिया जाए।
5) जिस- जिस विभिन्न शुल्कों की बात की गई है सभी विभिन्न आयाम के शिक्षक और समान उपलब्ध कराई जाए।

देवशपुर हाई स्कूल

1)करीब 400 बच्चे है और नामांकन भी होगी लेकिन बैठने के लिए 1 ही क्लासरूम की ब्यवस्था है यानी 40 बच्चे का।
2) विद्यालय में 20 साल से करीब 16 लाख रुपये पड़ी हुई है।जैसा कि प्राचार्य वीडियो जारी कर बताए है।प्रबंध कमिटि का बैठक कागजी है कोई नही पहुंचता है।यदि ऐसा है तो सारे प्रबंध कमिटी पर कानूनी करवाई हो।
2)जब भवन ही नही है तो वाजिब है कि कागजी स्कूल है तो फिर ना ना प्रकार के शुल्क बेईमानी है।इसे तत्काल लौटाया जाए।
3)20 साल से जो सारे शुक्ल लिए जा रहे है वह करीब 20 लाख रुपये का भी हिसाब चाहिए।

महाशय यह केवल 2 स्कूल के दुर्दशा व्यक्त किया हूँ।आगे हर दिन आपके अलग-अलग स्कूलों की कमियां सरकार को बताया जाएगा ।क्योंकि शिक्षा विभाग पूरी तरह फेल है सर गया है।

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