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बिहार विधानसभा चुनाव में केवर्त समाज ने तमाम राजनीतिक दलों से की अनुपातिक भागीदारी की मांग

जनबोल न्यूज अखिल भारतीय केवर्त कल्याण समिति, बिहार प्रदेश समिति के तत्वावधान में आज पटना में कैवत समाज व अंत्यत  पिछड़ा वर्गों के विकास –

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shaziya shamim

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अखिल भारतीय केवर्त कल्याण समिति, बिहार प्रदेश समिति के तत्वावधान में आज पटना में कैवत समाज व अंत्यत  पिछड़ा वर्गों के विकास – कल्याण से सम्बंधित मांगों और विधानसभा चुनाव में अनुपातिक भागीदारी की मांग को लेकर प्रेस कांफ्रेंस किया गया।

इसमें समिति के श्री चुल्हाई कामत (प्रदेश अध्यक्ष ), श्री रामकृष्ण मंडल ( अध्यक्ष, अखिल भारतीय अति पिछड़ा – पिछड़ा वर्ग आरक्षण बचाआ संघर्ष समिति, श्री श्रीकांत मंडल ( अधिवक्ता एवं प्रदेश महामंत्री), श्री श्रीनारायण भंडारी ( प्रदेश मुख्य सलाहकार), श्री संजय कुमार चौधरी (प्रदेश संगठन मंत्री) और श्री मनोज कुमार चौधरी (प्रदेश कार्यालय सचिव) उपस्थित रहे।

अखिल भारतीय केवर्त कल्याण समिति, बिहार प्रदेश समिति से बातचीत में समिति के नेताओं ने कहा कि बिहार राज्य में कृषि कार्य से युक्त कैवर्त । केवट (काउट) समुदाय की जनसंख्या लगभग 75 लाख है। कैवर्त समदाय बिहार में क्षेत्रीय आधार पर इन नामों से जाना जाता है जो एक ही जाति है। आजादी के 73 वर्षों के बाद आर्थिक, शैक्षणिक, राजनैतिक, व्यवसायिक, सामाजिक क्षेत्रों में इतने विशाल जनसंख्या बाली समुदाय की हालत अत्यंत चिंताजनक है।

2 अगस्त 2018 को मख्यमंत्री नीतीश कमार के साथ हुई वार्ता में समिति के प्रतिनिधि मंडल को कैवर्त | केवट (कउट) समाज को राजनैतिक भागीदारी, विकास, सम्मान और कल्याण हेत कई महत्वपूर्ण मुद्दों साकारात्मक पहल का भरोसा मिला था, किन्तु अभी तक सरकार की ओर से आवश्यक कदम नहीं उठाया गया है।

नेताओं ने कहा कि बिहार राज्य में कैवर्त /केवट (काउट)  समुदाय की राजनीति में भागीदारी नगण्य है। अभी राजनैतिक दलों के द्वारा इस समाज को राजनैतिक क्षेत्रों में उपेक्षा की जा रही है। हमने राजनैतिक दलों से मांग की है कि आसन्न विधान सभा चुनाव में इस समाज को उचित भागीदारी दिया जाय । बिहार में दो दर्जन विधान सभा क्षेत्रों में बहुलता है जिसमें आसानी इस समाज के उम्मीदवार को सफलता मिला सकती है एवं लगभग दो दर्जन क्षेत्रों में हमारी संख्या अच्छी है जो किस भी उम्मीदवार के लिए निर्णायक होगी।अत: सरकार तथा राजनैतिक दलों से यह मांग की जाती है कि आगामी विधान सभा चुनाव में जनसंख्या के अनुपात में इस समाज को भागीदारी दी जाय।

वहीं, प्रेस वार्ता से पूर्व समाजवादी नेता एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री स्व रघुवंश प्रसाद सिंह को श्रद्धांजलि भी अर्पित की गयी।

बिहार में निमंलिखित विधान सभा क्षेत्रों में इस समाज की बहुलता है :

मधुबनी-झंझारपुर , बाबूबरही, फुलपरास (अभी बाबूबरही से इस समाज के विद्यायक । मंत्री है। इसके अतिरिक्त राजनगर (एस सी) विस्फी और बेनीपट्टी क्षेत्र में जनसँख्या निर्णायक है।

सुपौल- पिपरा, सुपौल, निर्मली में बहुलता है एवं त्रिवेणीगंज(एससी), छातापुर एवं अन्य क्षेत्रों में भी निर्णायक भूमिका में है।

कटिहार – वरारी, कदवा, प्राणपुर, कोढा में बहुलता है एवं अन्य क्षेत्रों में भी निर्णायक भूमिका में है।

पूर्णियाँ – कसबा, रुपौली, अमौर बहुलता एवं कई विधान सभा में निर्णायक भूमिका में है।

अररिया – सिकटी, अररिया, फारविसगंज, रानीगंज में बहुलता है एवं अन्य क्षेत्रों में निर्णायक भूमिका में है।

मधेपुरा – बिहारीगंज, मधेपुरा में बहुलता है तथा अन्य क्षेत्रों में निर्णायक भूमिका में है |

सहरसा – महिषी, सोनवरसा में बहुलता है तथा अन्य क्षेत्रों में निर्णायक भूमिका में है।

दरभंगा – बहादुरपुर, दरभंगा ग्रामीण, बहेरा सहित काई क्षेत्रों में निर्णायक भूमिका में है।

समस्तीपुर – मोरवा, हसनपुर क्षेत्र सहित अन्य क्षेत्रों में निर्णायक भूमिका में है।

वैशाली जिला में भी कई क्षेत्रों में इस समाज की संख्या निर्णायक है।

भागलपुर – बिहपुर में बहुलता है और तथा अन्य क्षेत्रों में निर्णायक भूमिका में है।

इसके अतिरिक्त बिहार के सभी जिलों इस समाज की संख्या है जो किसी भी उम्मीदवार के लिए निर्णायक होती।

 

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