बिहार के नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली दूसरी सरकार के बाद से हीं अफरशाही के राज का आरोप लगना शुरू हुआ था। अब जब चौथा कार्यकाल अभी साल भर भी नहीं पूरा हुआ है तो फिर से सियासी पारा गरम है। इसबार पारा गरम बिहार सराकर में मंत्री मदनसहनी के इस्तीफे ने की फेशकश ने की है। बिहार के राजनीतिक खबर (Bihar Political News ) में मदन सहनी के इस्तीफे की पेशकश गुरूवार से से हीं ट्रेंड कर रहा है। अतिपिछड़ा समाज से आने वाले समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी के इस्तीफे की फेशकश पर शुरू हुई सियासी घमासान में अब जीतन राम मांझी भी आगए हैं।
मदन सहनी का बात सही है – मांझी
बताते चलें कि हम पार्टी के अध्यक्ष जीतनराम मांझी गुरूवार को दिल्ली से पटना लौटे हैं। इस दौरान मीडिया ने उनसे कुछ सवाल किये थे। जिसमें बिहार सरकार के मंत्री मदन सहनी द्वारा लगाया गया आरोप भी शामिल था। मीडिया ने मदन सहनी के उन आरोपों पर जीतनराम मांझी का पक्ष जाना चाहा जिसमें उन्होंने यह आरोप लगाया है कि बिहार में मंत्रियों की बात अधिकारी नहीं सुनते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, जीतन राम मांझी मदन सहनी के समर्थन में खुलकर उतर गए और इस आरोप को सही ठहराया है कि बिहार में कोई भी अधिकारी मंत्रियों की बात नही सुनता है । मांझी ने कहा कि इस बात को मैने एनडीए विधानमंडल दल की बैठक में भी उठाया है। क्योंकि किसी विधायक या मंत्री को अधिकारी कोई तरजीह नहीं देते हैं।
पहले भी रहे हैं मांझी के बागी तेवर
हालांकि मदन सहनी के इस्तीफे की पेशकश बिहार की राजनीतिक खबर (Bihar Political News ) पर मांझी की प्रतिक्रिया है लेकिन ऐसा नहीं है कि यह कोई पहला मौका है जब जीतन राम मांझी सरकार को घेरने के मौके से नहीं चुके हैं। सत्ता में साझेदार हम के मुखिया गाहे-बगाहे सरकार को आईना दिखाते रहते हैं। चाहे सरकार के लॉक डाउन के निर्ण से इतर अपनी बात रखनी हो या फिर हम के घोषणा पत्र में बेरोजगारी भत्ता 5000 देने की बात को सरकार को मनने के लिए कहना हो मांझी सत्ता और विपक्ष दोनों में बराबर नजर आते हैं।