भारतीय किसान नेता सहजानंद सरस्वती (Sahjanand Saraswati ) का आज महाप्ररायण दिवस है। 26 जून 1950 के दिन हीं इनका महाप्रयाण बिहार के मुजफ्फरपुर में जमींदारी प्रथा के खिलाफ लड़ते हुए हुआ था। स्वामी सहजानंद सरस्वती का जन्म मुल रूप से उत्तर प्रदेश के जिला गाजी पुर के गॉव देवा में 22 फरवरी 1889 में एक किसान परिवार में हुआ था।
नौरंग राय से सहजानंद सरस्वती बनने का सफर
सहजानंद सरस्वती (Sahjanand Saraswati ) का असली नाम नौरंग राय है। उनका जन्म भूमिहार समाज से तालुक रखनेवाला परिवार में हुआ। उनेक पिता का नाम बेनी राय था वे मुल रूप से कृषि पेशे से जुड़े हुए थे। जब नौरंग राय 3 वर्ष के थे तो इनकी माता का देहानंत होगया था। माता के देहांत के बाद इनका लालन-पालन इनकी चाची नें की। नौरंग राय के भटकाव की स्थिति को देखते हुए साल 1905 में इनकी शादी करवा दी गई। शादी के एक वर्ष बाद हीं इनकी पत्नी का देहांत होगया। पहली पत्नी के मृत्यु के बाद परिवार चाहता था कि नौरंग राय दुबारा वैवाहिक जीवन जीने के लिए शादी करे। परिवार के इस दबाव से विरक्त नौरंग राय विद्रोह कर परिवार, रिश्तेदार और समाज की परवाह किये बिना शादी से मना कर दिया और भागकर काशी चले गये। काशी में आदि शंकराचार्य की परंपरा के स्वामी अच्युतानन्द से दीक्षा लेकर संन्यासी बन गए। बाद के दो वर्ष उन्होंने तीर्थों के भ्रमण और गुरु की खोज में बिताया। 1909 में पुन: काशी पहुंचकर दंडी स्वामी अद्वैतानंद से दीक्षा ग्रहणकर दंड प्राप्त किया और दंडी स्वामी सहजानंद सरस्वती बने।
जब ब्रह्मणों ने दंड धारण करने पर सवाल