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पटना में “छाप तिलक सब छीनी रे मोसे नैना मिलाइ के” पर झूम उठे श्रोता

पटनाः कला, संस्कृति एवं युवा विभाग के “जश्न-ए-बिहार” कार्यक्रम के तहत रविवार को ऊर्जा ऑडिटोरियम में शायर, सितार नवाज और प्रसिद्ध गजल गायक उस्ताद शुजात

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shobhit singh

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पटनाः कला, संस्कृति एवं युवा विभाग के “जश्न-ए-बिहार” कार्यक्रम के तहत रविवार को ऊर्जा ऑडिटोरियम में शायर, सितार नवाज और प्रसिद्ध गजल गायक उस्ताद शुजात हुसैन खान के संगीत की महफिल सजी। कार्यक्रम का उद्घाटन कला, संस्कृति एवं युवा विभाग की अपर मुख्य सचिव हरजोत कौर, पुलिस महानिदेशक आलोक राज, पुलिस महानिदेशक सह अध्यक्ष बिहार राज्य पुलिस निर्माण निगम बिनय कुमार, उस्ताद शुजात हुसैन खान एवं अन्य गणमान्य अतिथियों ने दीप जलाकर किया।

पटना लिटरेरी फेस्टिवल (पीएलएफ) के सहयोग से आयोजित कार्यक्रम की शुरुआत में उस्ताद शुजात हुसैन खान ने सितार की धुन से श्रोताओं को मोह लिया। उन्होंने प्रसिद्ध गजल “जिन्दगी से बड़ी सजा नहीं और और क्या जुर्म है पता नहीं”, “ छाप तिलक सब छीनी रे मोसे नैना मिलाइ के” एवं अन्य नगमों की प्रस्तुति दी। उस्ताद शुजात हुसैन खान ने कहा कि मुझे खुशी है कि कार्यक्रम में उनके साथ प्रसिद्ध तबला वादक अमजद खान और शारिक मुस्तफा संगत पर रहे। आयोजन के दौरान पदाधिकारियों, सहित विभिन्न विभागों के पदाधिकारियों, कला प्रेमियों सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे।

कई विधाओं को एक मंच पर लाने का प्रयास

हरजोत कौर ने बताया कि “जश्न-ए- बिहार” कार्यक्रम कला, संस्कृति एवं युवा विभाग की एक एक नई शुरुआत है, जिसके माध्यम से गायन, वादन और साहित्य जैसी विधाओं को एक मंच पर लाने का प्रयास किया जा रहा है। साथ ही इसके अंतर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करवाएं जाएंगे। इसकी शुरुआत आज उस्ताद शुजात हुसैन खान के कार्यक्रम से हो रही रही है। धन्यवाद ज्ञापन निदेशक सांस्कृतिक कार्य रूबी ने दिया। मंच संचालन सोमा चक्रवर्ती ने किया।

कौन हैं उस्ताद शुजात हुसैन खान
कलकत्ता में जन्मे उस्ताद शुजात खान प्रसिद्ध सितार वादक उस्ताद विलायत खान के पुत्र हैं । इम्दादखानी घराने के संगीत विद्यालय से आने वाले उस्ताद शुजात खान ने 100 से अधिक एल्बम रिकॉर्ड किए हैं । ईरानी संगीतकार काहान कल्होर के साथ बैंड गजल में उनके काम के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ विश्व संगीत एल्बम के ग्रैमी अवॉर्ड के लिए नामांकित किया गया था। उनकी विशिष्टता, उनकी अनूठी सितार वादन शैली है, जिसे गायकी “आंग” के नाम से जाना जाता है ।

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