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बिहार में जज ने तीन आरोपियों को जेल भेजने से किया मना, पुलिस से पूछे सवाल

जमुई : कहते हैं कानून अंधा होता है। वह पक्ष-विपक्ष की नहीं सुनता। केवल सच्चाई देखता है। ऐसा ही एक मामला बिहार के जमुई जिले

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shobhit singh

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जमुई : कहते हैं कानून अंधा होता है। वह पक्ष-विपक्ष की नहीं सुनता। केवल सच्चाई देखता है। ऐसा ही एक मामला बिहार के जमुई जिले से सामने आया। व्यवहार न्यायालय में एससी-एसटी के एक मामले विशेष जज की अदालत ने दो केस में गिरफ्तार कर लाए गए तीन आरोपियों को जेल भेजने से साफ मना कर दिया। जज ने उनकी गिरफ्तारी को नियम के खिलाफ बताया।

शो-काज कर गिरफ्तारी को बताया अवैध

जमुई के अपर जिला एवं सत्र जज (प्रथम) सह एससी-एसटी मामलों के विशेष न्यायाधीश धीरेंद्र बहादुर सिंह ने दो अनुसंधानकर्ता पुलिस पदाधिकारियों (एक महिला व एक पुरुष दारोगा) को शो-काज करते हुए गिरफ्तार कर लाए गए तीन लोगों की गिरफ्तारी को अवैध भी बताया।

पुलिस द्वारा अदालत में लाए गए थे आरोपी

जमुई अनुसूचित जाति-जनजाति थाने की एक महिला पुलिस पदाधिकारी ने जमुई एससी-एसटी थाने में पिपराडीह झाझा के पिता-पुत्र किट्टू रावत व अभय रावत को गिरफ्तार कर जेल भेजने के लिए धीरेंद्र बहादुर सिंह की अदालत में लाया था। इसी तरह के एक अन्य मामले में जमुई एससी-एसटी थाने में अनुसंधानकर्ता पुलिस पदाधिकारी ने सोनो थाना के दूधकसाई गांव के गन्नू यादव को गिरफ्तार कर जेल भेजने के लिए न्यायालय में प्रस्तुत किया।

पदाधिकारियों को जज ने लगाई फटकार

एडीजे धीरेंद्र बहादुर सिंह ने रिकार्ड देख पुलिस पदाधिकारी को फटकार लगाई। उन्होंने कहा कि यदि मैं जमानत की सुनवाई के दौरान सख्त रहता हूं तो जेल भेजने के दौरान भी यह कायम रहेगा। उन्होंने तत्काल दोनों पुलिस पदाधिकारियों को शो-काज नोटिस जारी करते हुए तुरंत जवाब मांगा।

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