कोलकाता, जनबोल स्टाफ : कलकत्ता हाई कोर्ट की अनुमति मिलने के बाद बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सुवेंदइु अधिकारी भाजपा नेताओं के साथ आज 20 फरवरी, मंगलवार को सुबह उत्तर 24 परगरना जिले के संदेशखाली के लिए निकले। हालांकि हाई कोर्ट की अनुमति के बावजूद पुलिस ने सुवेंदु को तीसरी बार संदेशखाली से पहले ही धामाखाली रोक दिया। इस दौरान पुलिस से धक्का-मुक्की में एक सिख पुलिस अधिकारी पर ‘विवादास्पद टिप्पणी’ को लेकर राजनीति गरमा गई है। इस मुद्दे पर नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने साफ कहा कि हमने या हमारे किसी नेता ने सिख पुलिस अधिकारी पर कोई टिप्पणी नहीं की है। झूठी खबर फैलाई जा रही है।
इस बीच कोलकाता में सिख समुदाय के लोगों ने भाजपा दफ्तर का घेराव किया। प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी, ‘जब तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह माफी नहीं मांगते, आंदोलन शांतिपूर्वक जारी रहेगा।
पीएम और गृह मंत्री से माफी मंगवाने पर अड़े रहे
सुवेंदु अधिकारी के साथ कोलकाता से संदेशखाली के लिए रवाना होते वक्त विधायक अग्निमित्र पाल, शंकर घोष सहित भाजपा प्रतिनिधिमंडल के सदस्य थे। पुलिस ने धामाखाली में उन्हें रोक लिया। सड़कों पर बैरिकेडिंग कर दी गई। इसके बाद पुलिस के साथ बहस शुरू हो गई। इस दौरान पगड़ी पहने एक पुलिस अधिकारी ने कथित तौर पर भाजपा नेताओं के प्रति अपमानजनक टिप्पणी की। इस घटना पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोशल मीडिया पर कड़ी निंदा की। इसके बाद तो सिख समुदाय के लोग सामने आ गए। उन्होंने मंगलवार दोपहर कोलकाता में भाजपा दफ्तर का घेराव किया। भाजपा नेता राहुल सिन्हा ने सबसे पहले प्रदर्शनकारियों को समझाने की कोशिश की। उन्होंने माफ़ी भी मांगी, लेकिन सिख अपनी जिद पर अड़े हुए हैं।
पुलिस अधिकारी ने अपना नंबर बढ़ाने को सीएम ममता को मुद्दा दिया
नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने दावा किया कि पाकिस्तानी, खालिस्तानी, ये बातें हमें कहने की जरूरत नहीं है। उक्त अधिकारी ने दुर्व्यवहार किया, वे अपना नंबर बढ़ाने के लिए तृणमूल और तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी को मुद्दा बनाने को दिया है। हमें किसी पुलिस अधिकारी पर व्यक्तिगत हमला करने की जरूरत नहीं है। सुवेंदु ने साफ कहा कि हम गुरु नानकजी का सम्मान करते हैं। सिख धर्म को सलाम है। वे सच्चे देशभक्त हैं। देश को स्वतंत्र कराने में इनका योगदान सबसे अधिक है। बाद में उन्होंने सीमा सुरक्षा, चीन-भारत युद्ध, भारत-पाकिस्तान युद्ध में अधिक योगदान दिया। ममता बनर्जी ओछी राजनीति करती हैं। इसलिए इस अधिकारी ने जानबूझकर मुद्दा बनाया है। हमने, हमारे साथियों ने, किसी व्यक्ति, किसी समुदाय, किसी धर्म पर को लेकर कुछ नहीं कहा है और न भविष्य में कहेंगे।