Massacre in Bihar : 21 मई 2021 को सेनारी नरसंहार के दोषियों को बरी कर दिया गया। 18 नवंबर 2016 के जहानाबाद जिला आदालत के फैसले को पटना हाईकोर्ट ने बदल दिया। मामले में शामिल सभी 13 अभ्युक्तों को बरी कर दिया गया। जबकि जहानाबाद जिला आदालत ने 10 अभयुक्तों को मौत और 3 को उम्रकैद की सजा के अलावा एक-एक लाख का जुर्माना लगाया था। निचली आदालत ने पीड़ित परिजनों को सरकार द्वार 5-5 लाख का मुआवजा देने की बात कही थी। जब सेनारी के दोषियों को बरी किया गया है तो सवाल है क्या यह पहला नरसंहार है जिसके दोषियों को बरी किया गया। जवाब है ऐसा बिल्कुल भी नहीं ।
सेनारी नरसंहार का तार है शंकर बिगहा और नारायणपुर नरसंहार
बिहार में नरसंहार (Massacre in Bihar) का तार एक दूसरे से जुडा हुआ है। सेनारी नरसंहार का तार जिन नरसंहारों से जुड़ा है उसकी मुख्य वजह पहले शंकर बिगहा और फिर नाराणपुर नरसंहार है। 25 जनवरी 1999 को जहानाबाद जिले के शंकर बिगहा में 22 दलितों की हत्या कर दी गयी थी। उसके ठीक एक पखवार बाद नारायणपुर में 10 फरवरी 1999 को 13 दलितों की । दोनों नरसंहार में कुल 35 लोग एक पखवार के अंदर मारे जा चुके थे। शंकर बिगहा और नारयणपुर नरसंहार का बदला लेनें के उद्देश्य से 18 मार्च 1999 को अरवल जिला ( तब जहानाबाद ) के करपी थाना क्षेत्र के सेनारी गॉव में रात 7 बजे से 10 बजे के बीच भूमिहार जाति से आने वाले 34 लोगों को उनके घरों से जबरन निकालकर ठाकुरवाड़ी के पास ले जाकर गला रेत कर हत्या कर दी गयी थी । लोगों को शक था कि इस घटना को अंजाम पीपुल्स वॉर ग्रुप ( PWG ) के लोगों ने दिया है लेकिन सुबह जब पर्चा मिला तो साफ हुआ माओवादी संगठन माओवादी कम्युनिस्ट सेंटर ( MCC ) नें जिम्मेवारी लिया है। पर्चे में नाराणपुर और शंकर बिगहा नरसंहार के बदले की बात कही गयी थी।
क्या हुआ शंकर बिगहा और नारणपुर के दोषियों का !
सेनारी नरसंहार के दोषियों के बरी होने की खबर सामने आने के बाद एक आम सवाल है कि फिर जिन दो नरसंहारों के प्रतिशोध के कारण सेनारी नरसंहार हुआ था उन दो नरसंहार के दोषियों के साथ क्या हुआ ?
शंकर बिगहा नरसंहार ( Sankar bigha Massacre in Bihar )
25 जनवरी 1999 को हुए शंकर बिगहा नरसंहार में मारे गये 22 दलितों के हत्यारे चंद किलो मीटर की दूरी पर स्थित धोबी बिगहा गॉव के रहने वाले थे। 22 दलितों के हत्या के मामले में 24 अभियुक्तों पर केस चला । 16 साल बाद हत्या की सूचना देनेवाले सूचक ने गवाह देने से इंकार कर दिया इसी को आधार बनाते हुए कोर्ट ने सभी दोषियों को बाईज्जत बरी कर दिया । यह पहला मामला था जब नरसंहार के मामले में जिला आदालत ने हीं दोषियों को बरी कर दिया । यह अपने आप में सोंचनीय और रिसर्च का विषय है कि आखिर किन परिस्थितियों में शंकर बिगहा के दोषियों के खिलाफ सूचक मुकरा।
दूसरा नरसंहार जिसकी तार सेनारी नरसंहार की पटकथा को लिखने में अहम योगदान दिया वह है नारायणपुर नरसंहार । आखिर क्या हुआ नारायणपुर नरसंहार के दोषियों के साथ ?
नाराणपुर नरसंहार ( Narayanpur Massacre in Bihar )
10 फरवरी 1999 को 13 दलितों की हत्या को अंजाम दिया गया था। इस नरसंहार का जिक्र भी आता है सेनारी नरसंहार का माओवादी संगठन माओवादी कम्युनिस्ट सेंटर ( MCC ) द्वारा छोड़े गये जिम्मेवारी लेने के पर्चे में । सवाल वही है कि इस नरसंहार के दोषियों के साथ क्या हुआ ? नाराणपुर नरसंहार के दोषियों को सजा मिली या नहीं । इसका जवाब साल 2013 में हीं आ चुका है । विशेष आदलत के पास इतना सबूत था कि 7 अप्रैल 2010 को 16 दोषियों को फांसी और 10 को उम्र कैद की सजा दी जानी थी। लेकिन लगभग सवा तीन साल बाद 9 अक्टुबर 2013 को फैसला आया तो कोई सबूत नहीं थे लिहाजा सभी दोषियों को पटना हाईकोर्ट ने बरी कर दिया।
यहाँ ध्यान देने वाली बात यह है कि नारायणपुर और शंकर बिगहा दोनों नरसंहार को अंजाम देने वाले उसी जाति से थे जिस जाति के लोगों को सेनारी नरसंहार में हत्या की गयी थी।
बेल्छी नरसंहार ( Belchi Massacre in Bihar) से शुरू हुआ नरसंहारों का इतिहास
बिहार में नरसंहारों के इतिहास पर जब भी बात की जाती है शंकर बिगहा , नारायणपुर सेनारी बाद में आते हैं और बेल्छी नरसंहार पहले । देश में पहली गैर कॉग्रेसी सरकार थी, साल 1977 था। बेल्छी में 8 पासवान और 3 सोनार जाति के लोगों को कुर्मी जाति के लोगों ने जिंदा आग में जला दिया था। एक 14 वर्षीय युवक ने अधजले आग से निकलने की कोशिश की तो पुन : आग के हवाले कर दिया गया था। बेल्छी का चर्चा इसलिए भी होता है क्योंकि विपक्ष में बैठी तब भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गॉधी हाथी पर सवार होकर 13 अगस्त 1977 को पीड़ितों के आंसु पोछने पहुँची थी।
अगले भाग में ……
25 मई 2021 की सुबह 10 बजे पढ़ें!
कैसे नरसंहार गया में तो प्रतिशोध भोजपुर लिया जाने लगा !