जब से ट्विटर आया है नेताओं के लिए मन की बात कहना आसान हो गया है और लड़कर मीडिया में खबर बनवाना भी। बिहार को विशेष राज्य के दर्जे की मांग पुरानी है और उठाने वाले लोग भी राजनीति में पुराने। बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग को एक बार फिर से हवा दी जा रही है। ध्यान रहे, बस हवा है। कुछ और बात कहने के लिए कुछ और कहने का तरीका पुराना है। आने वाले कुछ महीनों में बिहार की सियासत में नूराकुश्ती का खेल तेज होने वाला है। संभव है श्री बाबू के लम्बे कार्यकाल के रिकार्ड को ब्रेक करते हीं नीतीश बाबू ब्रेक लें। ब्रेक के बाद क्या होगा इसकी तैयारी में मांझी, साहनी सब जुटे हैं। लिहाजा पाण्डेय जी की बयानबाजी सत्ता का सत्ता से लड़ाई का ,खत्म नहीं हुआ था कि मांझी -कुशवाहा मिलकर अब फिर से सत्ता बनाम सत्ता की लड़ाई शुरू करने की तैयारी मे जुट चुके हैं।
बिहार बने विशेष राज्य (Special status to Bihar), बनायेगा कौन ?
बिहार को विशेष राज्य की मांग कॉग्रेस के केंद्र वाली सरकार के खिलाफ नीतीश बाबू का मुहिम था। कॉग्रेस केंद्र की सत्ता से बाहर हो गयी है। 2014 में नीतीश बाबू मोदी के खिलाफ थे और 2019 में साथ। सियासी उलटफेर के ध्रुव लालू यादव भी अब बिहार की सियासत में जमानत लेकर आ चुके है । लिहाजा मांझी,साहनी सब नई संभावना तलाशने में जुटे हैं । वरना कोई क्यों लगातार नई- नई मांग अपनी हीं सरकार से सार्वजनिक रूप से रखेगा ? अब नई मांग फिर सत्ता की ओर से सत्ता से ही रखा गया है । मांग बिहार को विशेष राज्य के दर्जे की है। कुशवाहा 5 जून को संध्य़ा 2:18 मिनट पर नीतीश बाबू की तारीफ करते प्रधानमंत्री कार्यालय और नीति आयोग से मांग की कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिलना चाहिए । मांझी थोड़ा पिछड़ गये । कुशवाहा की ट्विट पढ़े होंगे लेकिन सोंच में पड़े रहे कि क्या कहा जाये? 3 घंटे बाद ट्विट आया लेकिन ट्विट पढ़ने पर साफ- साफ नहीं कह सकते कि नीतीश बाबू की तारीफ कर रहे या विरोध । मांझी लिखते हैं
“कम संसाधनों के बावजूद नीतीश जी ने बिहार की बदतर क़ानून व्यवस्था और बेहाल शिक्षा महकमे को दुरुस्त करने में अपनी पुरी ताक़त लगा दी है”
मांझी यहीं नहीं रूके , आगे कहा
डबल इंजन की सरकार में विशेष दर्जा नहीं मिला तो कभी नहीं मिलेगा।
तारीफ और सस्पेंस से भरे कुशवाहा और मांझी के ट्विट पर हम सब को सोंचना तो चाहिए ही। इतने साल सत्ता में रहने के बाद भी जो विशेष राज्य के दर्जे की मांग नहीं मनवा सके तो फिर से ध्यान आकर्षण प्रस्ताव क्यों ला रहे ? सवाल अब भी जारी है कि बिहार बने विशेष राज्य ( Special status to Bihar) लेकिन बनायेगा कौन ?