लोजपा में टूट ( ljp crisis ) 12 सितंबर को नहीं दिखेंगे यह तय हो चुका है। दरअसल लोजपा के संस्थापक रामविलास पासवान की बरखी 12 सितंबर को मनाना तय हुआ है। कार्ड पर आयोजकों में जिनका नाम है उसमें कार्ड बांटने वाले चिराग पासवान के साथ-साथ पशुपति पारस और प्रिंस राज का भी नाम है। कार्ड सभी पार्टियों में बंट गयी है अब कार्ड पशुपति पारस को भी मिला है। पारस ने भी बरखी पर आयोजित हो रहे कार्यक्रम में जाने को हामी भर दिया है। यहीं नहीं पारस ने यह भी कहा कि रामविलास पासवान ( Ramvilash paswan ) की बरखी पर उन्हें आमंत्रण नहीं भी दी जाती तब भी वे जाते। साथ हीं पारस ने चिराग पासावन ( Chirag paswan ) की सराहना भी की है उन्होने कहा है कि ये अच्छी शुरुआत है कि उन्होंने घर आकर कार्ड दिया ।
सियासी पलटन की संभावना भी
लोजपा के अंदर के टूट ( ljp crisis ) के बाद यह पहला मौका होगा जब चाचा भतीजा एक साथ होंगे। मौका है लोजपा के संस्थापक रामविलास पासवान के बरखी का । सियासी पलटन में माहिर रामविलास पासवान अब भले नहीं हैं लेकिन बरखी पर जिस प्रकार से चाचा भतिजा एक मंच पर पहुँच रहे हैं सियासी मायने भी निकाले जाने लगे हैं। संभावना जतायी जा रही है कि रामविलास के बरखी के बहाने राजनीतिक मिलन की भी शुरूआत हो सकती है। सवाल हो भी और संभावना जतायी जानी भी चाहिे क्यों न जब टूट के इतने महिने बाद न पारस की कोई पार्टी आयी न हीं लोजपा पर दावे को लेकर कोई संवैधानिक दांव पेंच। हाँ दृष्टि पटल पर जो नजर आया वह है पार्टी की मजबूती की अलग अलग तैयारी । खैर चिराग को जमीन पर भेजा जाना और पार्टी के पुराने लोग को वापस लाने का कवायद शुरू करना चिराग को मजबूती से स्थापित करने का चाल है या सच में राजनीतिक घमासान यह तो आने वाला समय हीं बतायेगा।