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Union Budget 2023:आसान भाषा में समझें ,बजट शब्दावली

Union Budget 2023 एक फरवरी  को पेश की जानी है।  आम तौर पर बजट की शब्दावली इतनी कठीन होती है कि आम लोगों के समझ

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Union Budget 2023 एक फरवरी  को पेश की जानी है।  आम तौर पर बजट की शब्दावली इतनी कठीन होती है कि आम लोगों के समझ से बाहर की बात  है। आम बजट 2023 (Union Budget 2023) पेश किये जाने से पहले दलित इण्डस्ट्रीज एशोसिएसन के चेयर मैन , दलित-आदिवासियों में उद्योग वाणिज्य व्यापार के माध्यम से आर्थिक क्रांति लाने के लिए प्रयासरत अर्थशास्त्री डॉ.जितेंद्र पासवान ने आम लोगों के समझने के लिए आसान भाषा में अपने उद्यमियों के बीच जारी किया है। आइए समझते हैं आम बजट 2023 (Union Budget 2023) में भी प्रयुक्त होने जा रहे  शब्दावली को।

  1. विनिवेश
    अगर सरकार किसी पब्लिक सेक्टर कंपनी में अपनी हिस्सेदारी को निजी क्षेत्र में बेच देती है, तो उसे विनिवेश कहा जाता है। सरकार द्वारा यह हिस्सेदारी शेयरों के जरिए बेची जाती है। यह हिस्सेदारी किसी एक व्यक्ति या फिर किसी निजी कंपनी को बेची जा सकती है।
  2. बांड
    जब केंद्र सरकार के पास पैसों की कमी हो जाती है, तो वो बाजार से पैसा जुटाने के लिए बांड जारी करती है। यह एक तरह का कर्ज होता है, जिसकी अदायगी पैसा मिलने बाद सरकार द्वारा एक तय समय के अंदर की जाती है। बांड को कर्ज का सर्टिफिकेट भी कहते हैं।
  3. बैलेंस ऑफ पेमेंट
    केंद्र सरकार का राज्य सरकारों व विश्व के अन्य देशों में मौजूद सरकारों द्वारा जो भी वित्तीय लेनदेन होता है, उसे बजट भाषा में बैलेंस ऑफ पेमेंट कहा जाता है।
  4. बैलेंस बजट
    बैलेंस बजट तब होता है जब सरकार का खर्चा और कमाई दोनों ही बराबर होता है।
  5. कस्टम ड्यूटी
    जब किसी दूसरे देश से भारत में सामान आता है तो उस पर जो कर लगता है, उसे कस्टम ड्यूटी कहते हैं। इसे सीमा शुल्क भी कहा जाता है। यह शुल्क तब लगता है जैसे ही समुद्र या हवा के रास्ते भारत में सामान उतारा जाता है।
  6. एक्साइज ड्यूटी
    एक्साइज ड्यूटी उन उत्पादों पर लगता है जो देश के भीतर लगते हैं। इसे उत्पाद शुल्क भी कहते हैं। यह शुल्क उत्पाद के बनने और उसकी खरीद पर लगता है। फिलहाल देश में दो प्रमुख उत्पाद हैं, जिनसे सरकार को सबसे ज्यादा कमाई होती है। पेट्रोल, डीजल और शराब इसके सबसे बढ़िया उदाहरण हैं।
  7. राजकोषीय घाटा
    सरकार की ओर से लिया जाने वाला अतिरिक्त कर्ज राजकोषीय घाटा कहलाता है। देखा जाए तो राजकोषीय घाटा घरेलू कर्ज पर बढ़ने वाला अतिरिक्त बोझ ही है। इससे सरकार आय और खर्च के अंतर को दूर करती है।
  8. प्रत्यक्ष कर
    प्रत्यक्ष कर वह कर होता है, जो व्यक्तियों और संगठनों की आमदनी पर लगाया जाता है, चाहे वह आमदनी किसी भी स्रोत से हुई हो। निवेश, वेतन, ब्याज, आयकर, कॉर्पोरेट टैक्स आदि प्रत्यक्ष कर के तहत ही आते हैं।
  9. विकास दर
    सकल घरेलू उत्पाद अर्थात जीडीपी एक वित्त वर्ष के दौरान देश के भीतर कुल वस्तुओं के उत्पादन और देश में दी जाने वाली सेवाओं का टोटल होता है।
  10. वित्त विधेयक
    इस विधेयक के माध्यम से ही आम बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री सरकारी आमदनी बढ़ाने के विचार से नए करों आदि का प्रस्ताव करते हैं। इसके साथ ही वित्त विधेयक में मौजूदा कर प्रणाली में किसी तरह का संशोधन आदि को प्रस्तावित किया जाता है। संसद की मंजूरी मिलने के बाद ही इसे लागू किया जाता है। यह हर साल सरकार बजट पेश करने के दौरान करती है।
  11. शार्ट टर्म कैपिटल असेट
    36 महीने से कम समय के लिए रखे जाने वाले पूंजीगत एसेट्स को शार्ट टर्म कैपिटल असेट कहते हैं। वहीं शेयर, सिक्योरिटी और बांड आदि के मामले में यह अवधि 36 महीने की बजाय 12 महीने की है।
  12. अप्रत्यक्ष कर
    ग्राहकों द्वारा सामान खरीदने और सेवाओं का इस्तेमाल करने के दौरान उन पर लगाया जाने वाला टैक्स इनडायरेक्ट टैक्स कहलाता है। जीएसटी, कस्टम्स ड्यूटी और एक्साइज ड्यूटी आदि इनडायरेक्ट टैक्स के तहत ही आते हैं।
  13. कैपिटल असेट
    जब कोई व्यक्ति बिजनेस या प्रोफेशनल किसी भी उद्देश्य से किसी चीज में निवेश करता है या खरीदारी करता है तो इस रकम से खरीदी गई प्रॉपर्टी कैपिटल असेट कहलाती है। यह बांड, शेयर मार्केट और कच्चा माल में से कुछ भी हो सकता है।
  14. कैपिटल गेन्स
    पूंजीगत एसेट्स को बेचने या लेन-देने से होने वाला मुनाफा कैपिटल गेन्स कहलाता है।
  15. असेसी
    ऐसा व्यक्ति जो इनकम टैक्स एक्ट के तहत टैक्स भरने के लिए उत्तरदायी होता है।
  16. पिछला वित्त वर्ष
    आम बजट 2023 (Union Budget 2023) में भी मे  पिछले वित्त वर्ष शब्द का प्रयोग होगा इसका मतलब  एक वित्तीय साल है जो कर निर्धारण वर्ष से ठीक पहले आता है। यह 1 अप्रैल से शुरू होकर 31 मार्च को खत्म होता है। इस दौरान कमाई गई रकम पर कर निर्धारण साल में टैक्स देना होता है। यानी 1 अप्रैल 2022 से 31 मार्च 2023 अगर वित्तीय साल है तो कर निर्धारण साल 1 अप्रैल 2023 से 31 मार्च 2024 तक होगा।
  17. वित्त वर्ष
    यह वित्तीय साल होता है, जो कि 1 अप्रैल से शुरू होकर 31 मार्च तक चलता है। फिलहाल सरकार वित्त वर्ष को बदलने पर विचार कर रही है।
  18. कर निर्धारण साल
    हर साल के तरह हीं  आम बजट 2023 (Union Budget 2023)  में भी कर निर्धारण साल शब्द का प्रयोग होगा।  जो किसी वित्तीय साल का अगला साल होता है। जैसे 1 अप्रैल 2023 से 31 मार्च 2024 अगर वित्तीय वर्ष है तो कर निर्धारण वर्ष 1 अप्रैल 2024 से 31 मार्च 2025 तक होगा।
  19. आयकर छूट: टैक्सपेयर्स की वह इनकम जो टैक्स के दायरे में नहीं आती। यानी जिस पर कोई टैक्स नहीं लगता।
  20. एप्रोप्रिएशन बिल 
    यह बिल संचित निधि में से खर्चों के लिए पैसे निकासी को हरी झंडी देने की तरह है। यह वह प्रस्ताव है जिसे संसद लोकसभा में मतदान के बाद पास करती है।
  21. एग्रीगेट डिमांड 
    यह अर्थव्यवस्था की कुल मांगों का एक योग होता है। इसकी गणना उपभोक्ता वस्तुओं एवं सेवाओं और निवेश पर होने वाले व्यय को जोड़कर इसकी गणना की जा सकती है।
  22. एग्रीग्रेट सप्लाई 
    यह देश में उत्पादित होने वाली वस्तु एवं सेवाओं का कुल योग होता है और इसमें निर्यातित माल की कीमत को घटाने के बाद आयातित माल की कीमत भी शामिल होती है।
  23. बजट घाटा 
    ऐसी स्थिति तब उत्पन्न होती है जब आपके खर्चे प्राप्त राजस्व से अधिक हो जाते हैं।
  24. बजट अनुमान 
    इस तरह के अनुमान में एक साल का राजकोषीय एवं राजस्व घाटा शामिल होता है। इस शब्द का मतलब यह होता है कि एक वित्तीय वर्ष के दौरान क्रेंद सरकार ने कितना खर्चा किया और उसे कर राजस्व के जरिए कितनी आमदनी हुई।
  25. सेनवैट
    केंद्रीय मूल्य वर्धित कर (सेनवैट) एक तरह का उत्पाद शुल्क है जो मैन्यूफैक्चरर (निर्माताओं) पर लगाया जाता है। इस टर्म को साल 2000-2001 के बजट में पेश किया गया था।
  26. कॉरपोरेट टैक्स 
    इस तरह का टैक्स कार्पोरेट संस्थानों का फर्मों पर लगाया जाता है, जिसके जरिए आमदनी होती है। इस बार करदाताओं को इसके 30 फीसद से घटाकर 25 फीसद किए जाने की उम्मीद है।
  27. चालू खाता घाटा 
    इस तरह का घाटा राष्ट्रीय आयात और निर्यात के बीच के अंतर को दर्शाता है।
  28. सेंट्रल प्लान आउटले 
    यह बजटीय योजना का वह हिस्सा होता है, जिसके तहत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और इकोनॉमी के विभिन्न सेक्‍टरों के लिए संसाधनों का बंटवारा किया जाता है।
  29. कर राजस्व 
    सरकार टैक्स लगा कर जो पैस हासिल करती है, उसे टैक्स रेवेन्यू कहा जाता है। आमतौर पर सरकार विभिन्न प्रकार के टैक्स लगाती है, ताकि योजनागत और गैर-योजनागत व्यय के लिए धन (पैसा) एकत्र कर सके। आमतौर पर सरकार की इनकम का प्राथमिक व प्रमुख स्रोत टैक्‍स ही होता है।
  30. गैर कर राजस्व 
    नॉन टैक्स रेवेन्यू वह राशि है, जो सरकार टैक्स के अतिरिक्त अन्य साधनों से एकत्र करती है। इसमें सरकारी कंपनियों के डिसइनवेस्‍टमेंट से मिली राशि, सरकारी कंपनियों से मिले हुए लाभांश और सरकार द्वारा चलाई जाने वाली विभिन्न इकोनॉमिक सर्विसेज के बदले में मिली राशि शामिल होती है।
  31. अनुदान मांगें 
    बजट में शामिल सरकार के खर्चों के अनुमान को लोकसभा अनुदान की मांग के रूप में पास करती है। हर मंत्रालय की अनुदान की मांगों को सरकार सिलसिलेवार तरीके से लोकसभा से पास कराती है।
  32. लेखानुदान मांगें 
    बजट को संसद में पारित कराने में लंबा समय लगता है। ऐसे में सरकार एक अप्रैल से पहले पूरा बजट पारित नहीं करा पाती। इस स्थिति में अगले वित्त वर्ष के शुरुआती दिनों के खर्च के लिए सरकार संसद की मंजूरी लेती है। इन्‍हीं मांगों को लेखानुदान मांगें कहते हैं।
  33. फाइनेंस बिल : इस बिल को बजट पेश करने के तुरंत बाद लोकसभा में पेश किया जाता है। इस विधेयक में बजट में प्रस्तावित करों को लागू करने, हटाने, घटाने, बढ़ाने या नियमों में अन्य बदलावों की विस्तार से जानकारी होती है।
  34. फिस्कल पॉलिसी
    यह सरकार की वह नीति है, जो सरकार रेवेन्यू और खर्च के विषय में बनाती है। इस नीति को बजट के जरिये लागू किया जाता है. इसका अर्थव्यवस्था पर बहुत असर पड़ता है।
  35. मॉनिट्री पॉलिसी 
    भारतीय रिजर्व बैंक की इस नीति के जरिये अर्थव्यवस्था में पैसे की सप्लाई और ब्याज दरों पर फैसला लिया जाता है। इसका अर्थव्यवस्था पर सीधा असर होता है। वहीं अर्थव्यवस्था में लिक्विडिटी बनाए रखने के लिए इसका इस्तेमाल होता है। महंगाई, बैलेंस ऑफ पेमेंट और रोजगार के स्तर में इसकी भूमिका अहम होती है।
  36. नेशनल डेट 
    यह केंद्र सरकार द्वारा लिया गया कुल कर्ज है। यह कर्ज सरकार को चुकाना होता है। आम तौर पर सरकार पहले के बजट घाटे को पूरा करने के लिए यह कर्ज लेती है।
  37. इंफ्लेशन 
    काफी सरल भाषा में इसे मंहगाई दर भी कहा जाता है। वहीं अर्थव्यवस्था में एक निश्चित समयावधि में किसी वस्तु या सेवा के बढ़े हुए दाम को महंगाई दर कहा जाता है। समय के साथ-साथ व्यक्ति एक निश्चित राशि में कम उत्पाद व सेवाएं खरीद पाता है। जानकारी दें क‍ि इसे ही मंहगाई दर कहते हैं। इसके चलते खर्च करने की उसकी क्षमता घटती जाती है। भारत में महंगाई दर का आकलन कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स से किया जाता है। इसे खुदरा महंगाई दर भी कहा जाता है। अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए रिजर्व बैंक इसे काबू में रखने का प्रयास करता है।
  38. फिस्कल कंसॉलिडेशन 
    इसका लक्ष्य सरकार के घाटे और कर्ज में कमी लाना है।
  39. गवर्मेंट बॉरोइंग
    वह रकम जो सरकार लोक कल्याण और सार्वजनिक सेवा योजना पर खर्च करने के लिए कर्ज के रूप में लेती है।

बजट में प्रयुक्त अंग्रेजी शब्द

Union Budget 2023 में  जिन अंग्रेजी शब्दों का प्रयोग होता है उसका सार भी हम सभी को समझनी चाहिए।

  1. BUDGET- बजट- आय-व्यय का लेखा, आय-व्ययक, आयव्ययपत्र
  2. FUND- फंड- पूंजी, निधि, धन, कोष
  3. SCHEME- स्कीम- योजना, स्कीम, व्यवस्था, पद्धति
  4. FISCAL- फिस्कल- राजकोषीय वित्तीय, राजस्व, राज वित्तीय
  5. DEFICIT- डेफिसिट- घाटा, कमी, आय की कमी
  6. SUBSIDY- सब्सिडी- अनुदान, अनुवृत्ति, सहायकी, सहायता

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